पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द. आदिम जाति कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार किस हद पर है इसकी बानगी गरियाबंद जिले में देखने मिली है. यहां विभाग के अधिकारियों ने लाल पायदान को रेड कार्पेट बताने वाली फर्म के बिल को आंख मूंद कर पास कर दिया. इतना ही नहीं फर्म को ये हॉस्टल के अधीक्षक ने ये प्रमाण पत्र भी दिया कि हम फर्म के काम से संतुष्ट है. बता दें कि ये फर्म कागजों में अंबिकापुर की बताई जा रही है.
लोकार्पण के 16 माह पहले ही झरियाबहारा आदिवासी कमार बालक आश्रम में रंगाई पुताई व वायरिंग के नाम पर अम्बिकापुर की फर्म को 1 लाख 32 हजार का भुगतान कर दिया गया, जबकि कुल बिल का भुगतान 27 लाख रुपए से अधिक का किया गया है. जानकारी के मुताबिक मैनपुर के अलावा गरियाबन्द व छुरा में भी शिक्षा विभाग की आड़ में अम्बिकापुर के फर्जी फर्म के साथ मिल कुल 88 लाख की योजना में हेराफेरी की गई है.
केंद्रिय सहायता आदिवासी क्षेत्र उपयोजना मद से मैनपुर के आदिवासी बालक आश्रम में कम्यूटर लैब स्थापना के लिए 20 लाख रुपये की स्वीकृति 2019 में मिली थी. आयुक्त आदिमजाति कल्याण विभाग के आदेश पर तत्कालीन प्रभारी एलआर कुर्रे ने परियोजना प्रशासक गरियाबन्द ने इस कार्य को करवाने मैनपुर बीईओ को आदेशित किया. फरवरी 2020 में कार्य आरम्भ करने की प्रक्रिया आरंभ कर अम्बिकापुर के फर्म यूनिक सेल्स एंड सर्विस को कार्य एजेंसी बना दिया गया. फरवरी 2020 में ही कम्यूटर लैब बनाने की प्रक्रिया को पूरी कर लिया गया. तत्कालीन हॉस्टल अधीक्षक गाड़ा राय सोरी ने तय सभी कार्य पर सन्तुष्टि जाहिर करते हुए, फर्म के कार्य सराहनीय बता कर बकायदा उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया.
लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता कन्हैया मांझी द्वारा केंदीय मदो के ख़र्च का ब्यौरा सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज निकाला गया तो मद में किये गए बंदरबांट का खुलासा हुआ. लोकार्पण से पहले मरम्मत पर 1 लाख 32 हजार खर्च-मौजूद दस्तावेज के मुताबिक फरवरी 2020 में यूनिक सेल्स एंड सर्विस अम्बिकापुर को 20 लाख का भुगतान किया गया, उसमे भवन के रंगाई पुताई डिस्टेम्पर व विद्युत वायरिंग पंखा के नाम पर 1 लाख 32 हजार दिया जाना लिखा गया है. जबकि सहायक आयुक्त कार्यालय के रिकार्ड के मुताबिक झरियाबहारा भवन को 10 जून 2021 को लोकार्पण किया गया है.
ऐसी नहीं लगाया, कार्पेट के नाम पर पैरदान-दस्तावेज के आधार पर हम मामले की सच्चाई जानने झरियाबहारा छात्रावास पहुंचे. एयर कंडीशनर के नाम पर 47 हजार का भुगतान किया गया है. पर लगाया नहीं गया. रेड कार्पेट व रूम डेकोरेशन के नाम पर 1 लाख भुगतान किया गया है, पर वहां केवल दो हजार कीमत के 20 पायदान मिले.
किसी भी रूम को डेकोरेशन नहीं किया गया है. 61 हजार का स्टडी चेयर भी नहीं थी. लैब के लिए हल्के प्लाई से जिस डेस्क व काउंटर निर्माण पर 3 लाख 18 हजार का भुगतान हुआ है, वो 1 लाख से भी कम में तैयार हो सकता था. जिस कम्यूटर का बाजार भाव अधिकतम 20 हजार है उसके लिए 40 हजार की दर पर 25 कम्यूटर के एवज में 10 लाख का भारी भरकम भुगतान किया गया है. ऑफिस टेबल व राउंडिंग चेयर के नाम पर भी डेढ़ गुना ज्यादा कीमत का बिल लगाया गया.
एक्टिविस्ट का दावा है कि जांच हुई तो लाखों के गड़बड़ी का होगा खुलासा
आरटीआई कार्यकर्ता कन्हैया मांझी ने दस्तावेज देते हुए बताया कि केंद्रीय मद से आदिवासी कमार छात्रों के बेहतर कम्यूटर शिक्षा व लाइब्रेरी के लिये गरियाबन्द के लिए 30 लाख 644 रुपये, छुरा के लिए 28 लाख 228 एव मैनपुर के लिए 30 लाख 6 हजार रुपये मिले थे. तत्कालीन परियोजना प्रशासक द्वारा बीईओ के जरिये जम कर गड़बड़ी कराई गई है है.
मांझी ने यंहा तक कहा कि जिले व राजधानी के फर्म के बजाए अम्बिकापुर के फर्म से काम कराना संदेहों को जन्म देता है. तीन फर्म से कोटेशन मंगाया जाता है, तीनों अम्बिकापुर के ही कैसे ? उनका आरोप है कि इसमें से दो फर्म को फर्जी है जो यूनिक सेल्स के सपोर्ट में अफसरों से मिली भगत कर डाला गया है. मामले में तत्कालीन परियोजना प्रशासक बीएल कुर्रे( अब महासमुंद जिले में पदस्थ) का पक्ष जानने कॉल किया गया पर वे रिसीव नहीं किये.
न टीन नम्बर न जीएसटी का जिक्र बिल में 80 लाख का ज्यादा का भुगतान कैसे
आरटीआई से निकाले गए यूनिक सेल्स का बिल जिसमे लाखो का भुगतान किया गया है, उस बिल में टिन नम्बर, जीएसटी व प्रोपराइटर का उल्लेख तक नहीं है. ऐसे में केंद्रीय मद पर सेंध लगाने वालों ने टैक्स की भी हेराफेरी कर दी है.
बीईओ बोले सब कुछ अफसर लेबल पर तय था
मैनपुर बीईओ आर आर सिंह ने कहा कि सभी बीईओ को केवल माध्यम बनाया गया था, जबकि किस फर्म को काम देना है, क्या लगना है, क्या नहीं करना है सब कुछ ऊपर लेबल से तय था. हमें केवल स्टेप्स की तरह इस्तेमाल किया गया. कोटेशन की प्रक्रिया भी परियोजना से कर लिया गया था.
सहायक आयुक्त एव प्रभारी परियोजना प्रशासक बी के सूखदेवे ने कहा कि मैं नया हूं, मामला अभी समझने दीजिये. पूर्व कार्यकाल में क्या हुआ है इससे अनभिज्ञ हूं.