क्रांतिकारी भगत सिंह का 5 साल का संघर्ष उनकी जीवन यात्रा है. इस संघर्ष यात्रा की बराबरी इंसान 50 साल में भी नहीं कर सकते. आजादी से पहले फांसी पर चढ़कर जो काम हो रहा था, आज वह विचारों से हो सकता है. भारत के नए बदलाव का रास्ता बन सकता है.
दिल्ली सचिवालय के ऑडिटोरियम में शहीद उत्सव 2021 का सोमवार को आयोजन हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के मंत्री गोपाल राय ने शिरकत की. शहीद उत्सव 2021 की शुरुआत एसकेपी की ओर से समूह गीत की प्रस्तुति देकर की गई. इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए जीएडी मंत्री गोपाल राय ने कहा कि स्वतंत्रता सैनानी अमर शहीद भगत सिंह का नाम नाम लेते ही युवाओं के दिलों में एक तरंग पैदा होती है. दिल की तरंग के साथ-साथ मानस पटल पर पिस्तौल लिए खड़े नौजवान का चित्र बनता है. जब भगत सिंह को फांसी दी गई, तब वे 23 साल के नौजवान थे. उनकी राजनैतिक जीवन और सक्रियता 18-19 साल की उम्र में शुरू हुई. भगत सिंह का पूरे 4-5 साल का संघर्ष उनकी जीवन यात्रा है. भगत सिंह की 4-5 साल की संघर्ष यात्रा को इंसान 50 साल में भी नहीं चुका पाते हैं.
उन्होंने कहा कि भगत सिंह आजादी की लड़ाई में पहला नौजवान है, जो कहता है कि हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान का शोषण बंद नहीं होता. एक राष्ट्र द्वारा शोषण बंद नहीं होता. हमारी लड़ाई सिर्फ अंग्रेजों से लड़कर खत्म नहीं होती है. एक नए हिंदुस्तान के सपने को लेकर जो नौजवान जी रहा था, उसका नाम भगत सिंह था.
गोपाल राय ने कहा कि भगत सिंह महात्मा गांधी के असहयोग अंदोलन में शामिल हुए. जब महात्मा गांधी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया, तब देश के लाखों नौजवानों की समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या है? क्योंकि उनका मानिसक विकास उस स्तर का नहीं था. साइमन कमीशन जब भारत के अंदर आता है, तो उसका विरोध करने पर लाला लाजपत राय पर हमला होता है और उनकी मौत होती है. उस समय भगत सिंह का संगठन हमला करता है. मजदूरों के खिलाफ जब ब्रिटिश पार्लियामेंट बिल संसद में लाया जा रहा था, तो संसद में बिल के खिलाफ बम फेंकते हैं. भगत सिंह उस समय भाग सकते थे, लेकिन नहीं भागे.
उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद उनके माता-पिता सहित सभी लोगों के कहने के बावजूद भी वे अंग्रजों से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हुए. अपनी जान को न्योछावर करने पर अड़े रहते हुए जेल चले जाते हैं. स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी को सत्याग्रह का जनक माना जाता है, लेकिन जेल के अंदर सबसे लंबे समय तक अनशन करने का रिकॉर्ड भगत सिंह का था.
उन्होंने कहा कि भारत के पास किसी संसाधन की कमी नहीं है. भारत के पास जितनी उपजाऊ जमीन है, उतनी दुनिया के कम देशों के पास है. भारत के बराबर की मैन पावर दुनिया के कम देशों के पास है. सब कुछ रहते हुए भी देश तमाम प्रश्नों से जूझ रहा है. ऐसे समय में भगत सिंह एक व्यक्ति के रूप में नहीं भगत सिंह एक विचार के रूप में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाने का नाम है. इसलिए भगत सिंह को एक व्यक्ति से ज्यादा उनके विचारों को जानने की जरूरत है.
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गोपाल राय ने कहा कि अगर हम विचार को समझेंगे, तो वक्त की जिम्मेदारी को बखूबी निभा पाएंगे. इसके लिए पिस्तौल चलाने की जरूरत नहीं है. आप भी अपने विचार के दम पर भगत सिंह बन सकते हैं, इसलिए ना तो फांसी पर चढ़ने की जरूरत है और ना ही गोली खाने की जरूरत है. उस वक्त फांसी पर चढ़कर जो काम हो रहा था, आज वह विचारों से हो सकता है. भारत के नए बदलाव का रास्ता बन सकता है.
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