प्रतीक चौहान. रायपुर. अब तक छत्तीसगढ़ में शांति थी. कभी दो गुटों में विवाद जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई थी. लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि यहां भी ऐसी घटनाएं सामने आने लगी है. पूरा मामला कवर्धा का है.
यहां पिछले दो दिनों से चल रहे विवाद के बाद धारा-144 लागू की गई. यहां कवर्धा जिला प्रशासन एवं एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने मोर्चा संभाले हुए थे. लेकिन इन सब अधिकारियों की मौजूदगी में कवर्धा में कुछ नेता सुबह 8 बजे 20-25 की संख्या में रैली निकली. इसके थोड़ी देर बाद सांसद और पूर्व सांसद के साथ 400-500 की संख्या में रैली निकाली गई. इसके चंद घंटों बाद ये संख्या हजारों में तब्दील हो गई. लेकिन सवाल ये है कि जब शहर में धारा 144 लागू थी तो इतनी संख्या में वहां रैली निकलती रही और जिला प्रशासन कुंभकर्णीय नींद में क्यों सोते रहे ? क्या उन्हें ये रैली नहीं दिखाई दी ? या बड़े नेताओं को देखकर वे कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएं ?
ऐसे मांगी अनुमति ?
कवर्धा के सूत्र बताते है कि रैली निकालने वाले नेताओं ने एसडीएम कार्यालय पहुंचे. वहां उन्होंने समझाइश की बात कहकर अनुमति मांगी और फिर बाद में उत्पात मचाया और जमकर तोड़फोड़ की. लेकिन सवाल ये है कि समझाइश देने वाले अधिकारी इतने नासमझ कैसे हो सकते है कि समझाइश देने के लिए सैकड़ों की संख्या में भीड़ की जरूरत नहीं बल्कि चंद लोग ही ऐसे विवाद को खत्म करने की ताकत रखते है. सूत्र बताते है कि इस रैली में आस-पास के जिले के लोग बड़ी संख्या में शामिल थे और यहां भीड़ जुटनी शुरू रात से ही हो गई थी.
न मीडिया से बात की और न फोन उठा रहे
कवर्धा में हुए इस विवाद के बाद कलेक्टर, एसपी समेत जिला प्रशासन के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने मीडिया से बातचीत नहीं की है. लल्लूराम डॉट कॉम ने भी इस संबंध में कलेक्टर और एसपी दोनो को फोन लगाया. लेकिन दोनो जिम्मेदारों ने फोन रिसीव नहीं किया.