नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुधवार को एक नया मोड़ आ गया है. सरकार की ओर से बयान जारी किया गया है कि मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कृष्ण कुमार साहू और मनजीत कौर ने अपनी याचिका वापस ले ली. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एन रमन व्ही की युगल पीठ में सुनवाई होने वाली थी.इस संबंध में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आज की कार्यवाही का विवरण भी मुहैया कराया गया है,जिसमें यह साफ लिखा हुआ है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका वापस लेने के कारण इसे निराकृत किया जाता है.

याचिका निराकृत होने के बाद भाजपा,कुरुद मंडल के वरिष्ठ कार्यकर्ता भानू चंद्राकर ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ” हमेशा सत्य की जीत होती है.इसका निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही कर दिया गया था.पंचायत मंत्री के खिलाफ राजनीति से प्रेरित होकर यह मनगढंत प्रकरण तैयार कर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया.यह अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस की नीयत और नियति को उजागर करता है कि वह व्यक्तिगत आलोचना पर विश्वास करने वाली पार्टी है.राज्य के विकास से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है.पंचायत मंत्री के व्यक्तित्व और  कृतित्व पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने लोक हितकारी फैसला देकर जन आकांक्षाओं को मजबूती दी है.माननीय न्यायालय के इस फैसले से न केवल न्याय की जीत हुई है,बल्कि पंचायत मंत्री की छवि और भी उज्जवल हुई है.”

जबकि सुनवाई के तुरन्त बाद याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार साहू, मनजीत कौर और उनके वकील एमी शुक्ला से फोन पर चर्चा के दौरान सरकार की इन बातों का खंडन किया है. कृष्ण कुमार और एमी शुक्ला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पेशी के दौरान इस मामले को निचली अदालत में एप्रोज करने के लिए कहा है. मनजीत कौर ने भी यही बात कहते हुए इस मामले का सु​प्रीम कोर्ट की कॉपी मिलने के बाद दोबारा निचली अदालत में केस लगाने की बात कही है.

आपको बता दें कि मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार साहू और मनजीत कौर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद बुधवार को जस्टिस एन वी रमन और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की युगलपीठ ने अपील पर सुनवाई की.

गौरतलब है कि पूर्व में हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच ने अगस्त 2017 में मनजीत और कृष्ण कुमार की याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज़ कर दिया था. जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 22 नवंबर को अपील दायर की थी. कौर और साहू ने अपनी अपील में मांग की थी कि मामले की जांच सीबीआई या किसी दूसरी एजेंसी से कराई जाए. याचिका करीब 300 पन्नों की है. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि मंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बेनामी संपत्ति बनाई है.