राकेश चतुर्वेदी, भोपाल/खंडवा। खंडवा लोकसभा में बुरहानपुर के बुनकर अब चुनावी मुद्दे बन गए हैं। आखिरकार बीजेपी और कांग्रेस दोनों को इनकी फिर से सुध आ गई। दोनों ही पार्टी इनकी बुनियादी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दे रहे हैं।
आप अपने घरों में रोजमर्रा की जिंदगी में जिन कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं। उन महीन धागों को कपड़े में बदलने के पीछे जो कहानी है वह बेहद ही दर्दनाक है और बुनकरों के इस दर्द से निश्चित ही अनजान होंगे। बुरहानपुर जिले में 40 हजार पॉवर लूम हैं और शहर में ढाई लाख बुनकर हैं। या कहें कि शहर में रहने वाले हर परिवार से कोई न कोई सदस्य इससे जुड़ा हुआ है। यहां लूम के कारोबार से तकरीबन 4 लाख लोग जुड़े हुए हैं।
आप तक पहुंचने वाले आकर्षक रंग बिरंगे सुंदर कपड़ों के पीछे न सिर्फ इनकी 12-12 घंटे की मेहनत है बल्कि उनका दर्द भी उसमें शामिल है। दरअसल ये बुनकर 12-12 घंटे काम करते हैं और उसके बदले में इन्हें महज 200 से 300 रुपये ही रोजी मिलती है। इस व्यवसाय की वजह से यहां 50 फीसदी से ज्यादा बुनकर टीबी और दमा की बीमारी के शिकार हो गए हैं।
12-12 घंटे की अपनी इस मेहनत के एवज में ये बरसों से बढ़ा हुआ मेहनताना की मांग कर रहे हैं। मेहनताना बढ़ना अब इनके लिए दूर की कौड़ी हो गया है। लिहाजा निराश होकर अब उन्होंने इस चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट नहीं देने का फैसला लिया है। संघ के अध्यक्ष रियाज अहमद अंसारी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि बुनकर इस बार किसी भी राजनैतिक दलों को वोट नहीं देंगे। बुनकर इस दफा नोटा का बटन दबाएंगे।