करण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव विवाद मामला थमता नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जहां सत्ताधारी भाजपा चुनाव कराने पर अड़ी हुई हैं वहीं दूसरी ओर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार द्वारा तय मापदंड के अनुरूप चुनाव चाहती है। कांग्रेस इस मामले को लेकर हाईकोर्ट की शरण में पहुंची है। अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। सत्ताधारी भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट में दायर याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर किया है। इस मामले में आगमी छह दिसंबर को सुनवाई है। सुनवाई के संबंध में याचिकाकर्ता से जवाब मांगा गया है। इस संबंध में याचिका दायर करने वाले वकील को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
बता दें कि मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा और कांग्रेस में एकराय नहीं है। इस मामले में नए सिरे से परिसीमन और आरक्षण को लेकर पक्ष और विपक्ष में विवाद की स्थिति है।
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हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने लगाई थी रोक
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के परिसीमन के मामले में जो रोक हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने लगाई थी। उसके खिलाफ शिवराज सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार के द्वारा दायर स्पेशल लीव याचिका यानि की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकर कर लिया है। साथ ही याचिकाकर्ता मानवेंद्र सिंह तोमर को नोटिस जारी करके 6 दिसंबर को जबाब मांगा है।
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आरक्षण और परिसीमन को लेकर याचिका दायर
दरअसल नगरीय निकाय चुनाव के आरक्षण और परिसीमन को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिसमें अधिवक्ता मानवेंद्र सिंह तोमर द्वारा मार्च 2021 मे चुनौती दी गई थी। जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा चुनाव के आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही प्रदेश के 79 नगर पालिका अध्यक्ष एवं 2 महापौर पर गलत आरक्षण के लिए प्रदेश की सभी सीटों पर रोक लग गई थी। इसे लेकर लगातार सरकार अपना जवाब पेश करने के लिए समय लेती रही।