रायपुर. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने 2 दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है. हड़ताल करने की वजह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण, बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 का विरोध करने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की मांग है.

बता दें कि, ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्प्लाइज एसोसिएशन ने इन मांगों को जायज और उचित बताते हुए देश हित में बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों की इस हड़ताल का पूर्ण समर्थन करते हुए 16 दिसंबर को भोजनावकाश में देशभर में बीमा कार्यालयों में प्रदर्शन का ऐलान किया है.

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एआईआईईए के सहसचिव व सीजेडआईईए के महासचिव धर्मराज महापात्र ने यह जानकारी देते हुए कहा, कि वर्तमान सरकार ने राष्ट्रीय हितों को पूरी तरह धता-बताकर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों के निजीकरण की शुरुआत की है. जो देश विरोधी कदम है.

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दरअसल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा हैं. 1969 और उसके बाद 1980 में राष्ट्रीयकरण के बाद से बैंकिंग क्षेत्र ने जबरदस्त प्रगति दर्ज की है. भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कुल जमा राशि 1969 में 5000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021 में 157 लाख करोड़ रुपए हो गई है.

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जानकारी के अनुसार यूएफबीयू के बैनर तले बैंक कर्मचारी आंदोलन ने उचित रूप से बैंकों के पर्याप्त पूंजीकरण करने, जानबूझकर पैसा न चुकाने वालों से डूबे कर्ज की वसूली के लिए कड़े कानून बनाने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण नीति पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.