जयपुर. राजस्थान उपचुनाव में ‘पद्मावत’ को बैन करना शायद वहा की जनता को पंसद नहीं आया. या फिर यू कहे कि राजस्थान की बीजेपी सरकार फिल्म को बैन कर लोगों का समर्थन पाने में नाकाम रही. कारण चाहे जो भी हो लेकिन यह जरूर है कि फिल्म ‘पद्मावत’ का हथकंडा​ भी बीजेपी को जीत दिलाने में नाकाम रहा.

राज्य की इन तीन सीटों को जीतने के लिए और वोटरों को अपने पक्ष में रखने के लिए वसुंधरा राजे ने ‘पद्मावत’ के मुद्दे पर शुरू से लेकर अंत तक सख्त तेवर अपनाए रखा. उन्होंने राजपूत वोटरों को लुभाने के लिए करणी सेना के खिलाफ नरम रुख अपनाए रखा. राजस्थान में ‘पद्मावत’ के मुद्दे पर करणी सेना की ओर से जो बवाल देखने को मिला, उसकी जड़ में सिर्फ यह उपचुनाव ही थे. लेकिन वहां की बीजेपी सरकार के इस हथकंडे को भी तीन सीटों की जनता ने नकार दिया और उपचुनाव में कांग्रेस के साथ जाना ही मुनासिब समझा. आपको बता दे कि यह चुनाव कांग्रेस से सचिन पायलट और भाजपा की वसुंधरा राजे की अगुवाई में लड़ा गया है.

राजस्थान में हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को करारी मात दी है. यहा दो लोकसभा और एक विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए है. जिसमें अजमेर और अलवर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी को काफी वोटों के अंतर से हरा दिया है. अलवर सीट से कांग्रेस के डॉ. करण सिंह यादव ने बीजेपी के जसवंत सिंह यादव को हराया, तो वहीं अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के रघु शर्मा ने बीजेपी के राम स्वरूप लांबा को हरा दिया. इससे पहले राजस्थान की मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया है.

यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि इसी साल राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं और इस साल मेघालय, त्रिपुरा और कई राज्यों में भी चुनाव होने हैं. कांग्रेस जिस तरह से गुजरात में जीत से कुछ कदम दूर रह गई थी, उसके पास इस जीत को भुनाने का बेहतर मौका है. कांग्रेस के लिए यह जीत इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि कुछ-एक जगह को छोड़ दें तो लोकसभा चुनाव के बाद अभी तक लगातार कांग्रेस को हार का सामना ही कर रही है.

गौरतलब है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री और अजमेर से भाजपा सांसद प्रो सांवर लाल जाट, अलवर से बीजेपी, सांसद चांद नाथ योगी और मांडलगढ से भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी का असामयिक निधन होने के कारण तीनों सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे. पहली बार मतदान के लिए उम्मीदवारों की तस्वीरों के साथ ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल ​हुआ है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्विनी भगत ने कहा था कि एक नाम वाले अलग-अलग उम्मीदवारों को लेकर मतदाताओं में भ्रम से बचने के लिए पहली बार ईवीएम मशीनों पर उम्मीदवारों की तस्वीर लगायी गई थी. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया था कि तीनों निर्वाचन क्षेत्र में 3802168 मतदाता हैं.