अमृतांशी जोशी,भोपाल। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुआ युद्ध अब भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है. इन दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतों में काफी उछाल देखा गया है. यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है.
रूस और यूक्रन के बीच जंग का असर साफतौर पर भारत में दिखने लगा है. भारत में रिफायंड और सोया तेल की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी देखी गई है. सोया तेल की कीमतों में 30 से 35 रुपए तक की बढ़ोतरी आई है. वहीं रिफायंड ऑयल की कीमतों में भी 25 से 30 रूपए की बढ़ोतरी देखी गई है. इन कीमतों ने आम आदमी की जेब पर सीधा असर डाला है.
राजधानी भोपाल के दुकानदारों का कहना है कि चुनाव के बाद रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ना लगभग तय है. इससे आम जनता की रोजमर्रा की जीवन भी प्रभावित होगी. लोगों के खर्चें और बढ़ जाएंगे. इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. यानी जनता को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है.
बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रिपोर्ट में प्रमुख आर्थिक सलाहकारी सौम्यकांति घोष ने दावा किया था कि युद्ध के लंबे खिंचने पर अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी देखने को मिल सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत आसमान छूती जा रही है.
अगर कच्चे तेल की कीमत 100 से 110 डॉलर की सीमा में रहती है, तो वैट के ढांचे के अनुसार पेट्रोल-डीजल की कीमत मौजूदा दर से 9 से 14 रुपये प्रति लीटर अधिक होगी. सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करने के बाद कीमत बढ़ने से रोकती है. ऐसे में इस हिसाब से सरकार को हर महीने 8 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना होगा.
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