Women’s Day प्रतीक चौहान. रायपुर. बेटा जब भी मैं बुढ़ापे में हरिद्वार कुंभ स्नान (Kumbh Snan) में आऊ, मैं चाहता हूं कि तुमारा नाम इस बंगले के बाहर लगी तख्ती में लिखा हो. ये बातें एक पिता अपनी बेटी को कलेक्टर हरिद्वार के बंगले के पास ले जाकर कहते थे. ये बात वो सिर्फ इसलिए कहते थे क्योंकि वो पूरी दुनिया को झूठा साबित करना चाहते थे जहां दशकों पहले बेटियों को बेटों की तुलना में कम आका जाता था, और भेदभाव होता था.

यही कारण है कि उन्होंने अपनी बेटी को खूब पढ़ाया. बेटी ने भी पिता का नाम कभी कम रौशन होने नहीं दिया. वे अपनी स्कूल लाइफ में कभी सैकेंड रैंक पर नहीं आई, यानी हर बार उन्होंने टॉप किया. 12 वीं में गणित में उन्हें 100 में 100 नंबर मिले. 6 वीं कक्षा में पहली बार स्कॉलरशिप मिली जो पूरे उत्तर प्रदेश में सिर्फ 2 छात्रों को मिली थीं. पिता बेटी की पढ़ाई को लेकर इतने सजग थे कि बेटी के पेंटिंग, डांसिंग समेत अन्य शौक को पढ़ाई के बीच में आने नहीं देते थे और स्कूल में कभी बेटी को एक्ट्रा करिकुलम में हिस्सा लेना होता था तो वे छिप-छिपकर इसमें हिस्सा लेते थी. चूंकि वे पढ़ाई में होशियार थी और बायो के साथ गणित का भी अच्छा ज्ञान था. वे एक ऐसे IAS से भी मिली थी जो डॉक्टर थे, इसलिए उन्होंने पहले एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टरी की.

हम बात कर रहे है आईएएस डॉ प्रियंका शुक्ला (IAS Dr. Priyanka Shukla) की. डॉ प्रियंका ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि इंटर्नशिप के दौरान जब वे हरिद्वार में थीं तब उनके पापा उन्हें हरिद्वार कलेक्टर के घर के पास अक्सर ले जाया करते थे और उन्हें प्रेरित करते थे कि वो भी एक दिन कलेक्टर बन शुक्ला परिवार का नाम रौशन करें.

डॉ प्रियंका कहती है कि करीब 3 दशक पहले जब लोगों के ख्यालात पुराने जमाने के थे, तब उनके जन्म पर बहुत ज्यादा खुशी किसी को नहीं हुई थीं. ये बात उनके पापा को बहुत बुरी लगती थीं, लेकिन उन्हें ये बात बुरी लगती हैं इसका जिक्र कभी उन्होंने किसी से नहीं किया, लेकिन वे हमेशा चाहते थे कि वे पूरी दुनिया को झूठा साबित करें और अपनी बेटी को ऐसी शिक्षा दें कि वे आगे जाकर पूरे परिवार का नाम रौशन करें. हर बेटी के लिए उनके पापा सुपरहीरो होते है वैसे ही उनके पापा की भी वो परी हैं और कहती है कि मैं अपने पापा को कभी हर्ट नहीं कर सकती.

Keep it up यानी और ऊंचा जाना है

डॉ प्रियंका शुक्ला कहती है कि है स्कूल में जब टीचर उनकी कॉपी चेक करने के बाद Keep it up लिखते थे और वे इसे अपने पापा को दिखाती थीं तो वे हमेशा उन्हें ये कहते थे कि ‘तुम्हें और ऊंचा जाना है’. वे बताती है कि उनके पापा खुलकर कभी उनकी तारिफ नहीं करते थे, क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि यदि बच्चों की ज्यादा तारिफ की तो वे और स्ट्रगल नहीं करेंगे. लेकिन 4 मई 2009 का वो दिन था तब उनकी पूरी दुनिया बदल गई, जो लोग कभी उनसे बातें नहीं किया करते थे वो भी उनके इस टैलेंट के कायल हो गए कि एक बेटी ने पहले डॉक्टर की पढ़ाई की और आज IAS बनकर पूरे परिवार का नाम रौशन किया है. हालांकि उनके यूपीएससी पास करने के बाद उनके पूरे परिवार की सोच बदल गई.

मैं बेहद मध्यमवर्गी परिवार से हूं, पापा आज भी इस बात के लिए डांटते हैं

डॉ प्रियंका शुल्का भले ही आज अपने करीब 13 वर्षों की सर्विस के बाद चार प्रमुख पदों पर पदस्थ हैं, 12 विभिन्न प्रकार की प्रमुख जिम्मेदारियां वो संभाल रही हैं, कई जिलों की कलेक्टर रही. लेकिन आज भी वे ये बताने में गुरेज नहीं करती कि वे बेहद मध्यमवर्गी परिवार से आती हैं. वे कहती है कि अब भी ऐसा कई बार होता है जब वे पापा से डांट खाती हैं. इसके पीछे की वजह पूछने पर उन्होंने बताया कि टाइम से खाना न खाने, अपनी सेहत का ख्याल न रखने जैसी बातों को लेकर आज भी उनके पापा उन्हें डांटते हैं.

भगवान आसमान से जाते हैं और आशीर्वाद देते हैं

डॉ प्रियंका शुक्ला बताती हैं कि उनकी परवरिश कई वर्षों तक हरिद्वार में ऐसे  हुई जब सुबह 4 बजे ही मंदिर में पूजा-पाठ शुरू हो जाती थीं. उन्हें बचपन से ही सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करने की आदत है. इसके पीछे की वजह उन्होंने बताई कि बचपन के दिनों में उनके नाना जी उनसे ये बात कहते थे कि ‘जो बच्चा सुबह उठकर पढ़ाई करता हैं उन्हें भगवान आशीर्वाद देते है. क्योंकि सुबह आसमान से भगवान जाया करते है’. वे कहती है आज भी उन्हें कोई प्रेजेंटेशन देना हो तो इसकी तैयारी सुबह 4 बजे उठकर करनी शुरू कर देती है.

‘ये हैं मेरे जीवन की असली कमाई’

वे कहती है कि उनके जीवन की असली कमाई यही हैं कि वे इस पद पर रहते हुए किसी जरूरतमंद की मदद शासन की विभिन्न योजनाओं का पूरा लाभ पहुंचाकर करें और जब हितग्राही उन्हें वर्षों बाद याद करता हैं तो उन्हें बेहद खुशी होती है. वे कहती हैं कि पिछले करीब 13 वर्षों के सिविल सर्विसेस में रहने के दौरान जहां-जहां उनकी पोस्टिंग रही वहां से आज भी लोग उनके जन्मदिन पर उन्हें फोन कर विश करते है, जिससे उन्हें ये लगता हैं कि मैंने वो फैसला सही लिया जब वे डॉक्टर बनने के बाद अचानक यूपीएससी क्रैक करने की सोची और दूसरे अटैम्प्ट में उनका सलेक्शन हो गया.

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