शब्बीर अहमद,भोपाल। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी मामले की अब रोज सुनवाई होगी. सेशन कोर्ट ने फैसला लिया है कि 25 से 29 अप्रैल तक रोजाना मामले की सुनवाई होगी. रोज डेढ़ घंटे 11 से 12.30 बजे सुनवाई की जाएगी. 2010 में जिला अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड और उसके 7 भारतीय अधिकारियों को दोषी पाया था. उनके खिलाफ 304-A, 336, 337, 338 और धारा 35 के तहत कार्रवाई की गई थी.

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इसके अलावा भोपाल गैसकांड मामले में 2010 में सभी आरोपियों को 2-2 साल की सजा सुनाई गई थी. सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में दोषियों ने दरवाजा खटखटाया था. रोज सुनवाई के फैसले के बाद पीड़ितों को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.

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यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड और उसके दोषी अधिकारियों द्वारा अपनाई गई देरी की रणनीति ने यह सुनिश्चित किया है कि अगस्त 2021 से सत्र न्यायालय में लंबित अपील की योग्यता पर कोई बहस नहीं हो पाई है. हर पेशी पर अभियुक्तों द्वारा एक नया बहाना पेश किया गया है. अभियोजन CBI द्वारा न्यायालय के समक्ष 25 मार्च 2022 को अपने आवेदन में बताया कि 2010 से यह आपराधिक अपील इस माननीय न्यायालय के समक्ष लंबित है और किसी भी उच्च न्यायालय का कोई आदेश नहीं है, जो इस अपील कार्यवाही को रोकने के लिए आदेशित करता हो.

अभियुक्तों द्वारा बार बार अगली तारीख मांगने की याचिका दायर करके कानून की उचित प्रक्रिया को पटरी से उतारने और न्याय प्रक्रिया में अत्यधिक देरी करने के प्रयास किए जा रहे है. “यह आपराधिक अपील 11 साल से लंबित है और इसी दौरान 2 दोषी अधिकारी (केवी शेट्टी, विजय गोखले) अपने अपराधों का भुगतान किए बिना ही दिवंगत हो चुके हैं. बाकी दोषी अधिकारी पेशी पर भी शामिल नहीं होते हैं”

बता दें कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से 2-3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव से हजारों लोग मारे गए थे. इससे 5.58 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. त्रासदी के बचे हुए लोग जहरीले रिसाव से होने वाली बीमारियों के लिए पर्याप्त मुआवजे और उचित चिकित्सा उपचार के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.

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