अजय सूर्यवंशी, जशपुर। जिले में खाद्य विभाग के उच्च अधिकारियों के मनमाने रवैये से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार की गरीब परिवार के लोगों की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर ही सवालिया निशान लगा गया है. ये ऐसे अधिकारी हैं, जिनके लिए हाईकोर्ट का आदेश भी कोई मायने नहीं रखता.
कुछ महीने पहले बगीचा की खाद्य अधिकारी चम्पाकली दिवाकर के खिलाफ उचित मूल्य दुकान संघ ने पैसे का डिमांड करने की शिकायत एसडीएम बगीचा से की थी. इस पर खाद्य अधिकारी को बिना जांच किए ही बगीचा से हटाकर जशपुर मुख्यालय के कार्यालय में अटैच करने का आदेश जारी कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ कांसाबेल की खाद्य अधिकारी रेणु जांगड़े का लेन-देन और पैसे की डिमांड करने का ऑडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद रेणु जांगड़े को कांसाबेल से हटाकर बगीचा ट्रांसफर कर दिया गया. इस पर खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर की कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़े होना लाजमी है. एक खाद्य अधिकारी को आरोप मात्र लगाने से तत्काल हटा दिया जाता है, वहीं दूरी अधिकारी जिनका लेन-देन का ऑडियो वायरल होता है, उसके बाद भी उनको प्रमोशन देते हुए छोटे ब्लॉक से बड़ा ब्लॉक की जिम्मेदारी दी जाती है.
विभागीय कार्रवाई पर खाद्य अधिकारी चम्पाकली दिवाकर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने जिला खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर के आदेश को शून्य कर पुनः बगीचा की जिम्मेदारी चम्पाकली दिवाकर के लिए आदेश जारी होता है, लेकिन इसके बाद जिला खाद्य अधिकारी ने हाईकोर्ट के स्टे आर्डर को चैलेंज कर एक जांच टीम गठित कर चम्पाकली के खिलाफ अपना फिर से आदेश जारी कर पूर्व में किए गए आदेश को यथावत करते हुए सभी पीडीएस संचालकों का बयान लेकर शिकायत को सही ठहराया. इस पर दोबारा स्टे आर्डर मिलने के बाद जिला खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर ने फिर से नोटिस जारी कर दो ब्लॉक कुनकुरी ओर बगीचा के उचित मूल्य के दुकानदारों को बयान के लिए बुलाया गया. इसके बाद चम्पाकली दिवाकर को बगीचा की जिम्मेदारी तो दे दी गई है. लेकिन बगीचा एसडीएम को सौंपे गए जांच प्रतिवेदन के आधार पर आज तक किसी भी उचित मूल्य के दुकानदारों के ऊपर कार्रवाई नहीं की गई है.
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मामले में चम्पाकली दिवाकर का कहना है कि मैंने अपने दायित्यों का निर्वहन करते हुए. अपने उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए सभी दुकानों का निरीक्षण किया था, जिसमें 62 दुकानों के जांच में सभी दुकानों में स्टॉक में काफी अंतर पाया, और शासन के गाइड लाइन का किसी भी दुकानदार ने पालन नहीं किया था. मैंने जांच रिपोर्टर अपने उच्च अधिकारियों को पेश कर दिया था, जिसके बाद आज तक किसी भी उचित मूल्य के दुकानदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, बल्कि जांच करने की मुझे लगातार सजा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर मेरे जांच के आधार पर उचित मूल्य के दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाती तो एक-एक दुकान से राज्य शासन के खाते में कम से कम 30 से 40 लाख रुपए की रिकवरी होती.
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इस संबंध में जब जिला खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर से बात की तो उन्होंने बताया कि चूंकि हाईकोर्ट का मामला है, इसलिए हम जवाब प्रस्तुत करने सभी दुकानदारों का बयान लेकर कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंप दी है. पीडीएस दुकानदारो के जांच के संबंध में उन्होंने बताया कि हमने जांच कर आगे की कार्रवाई लिए बगीचा एसडीएम को भेज दिया है. जिन दुकानों में गड़बड़ी पाई गई है, उन पर कार्रवाई होगी. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कार्रवाई कब होगी. डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी पीडीएस दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होना भी अधिकारी पर सवाल खड़े कर रहा है.
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