प्रतीक चौहान. रायपुर. मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ विनय जायसवाल का पिछले दिनों रायपुर रेलवे स्टेशन पर झारखंड के गिरोह ने मोबाइल पार कर लिया. अब ये गिरोह पकड़ में भी आ गया है, लेकिन इस गिरोह के पकड़े जाने की रियल स्टोरी सामने नहीं आई है.

 सूत्र बताते है कि GRPने इस गिरोह को पकड़े जाने का खुलासा किया. लेकिन आप इस मामले की हकीकत जानकर हैरान हो जाएंगे कि कागजों में इसकी एफआईआर अब तक किसी ने भी दर्ज नहीं की है और जीआरपी ने गिरोह से मोबाइल बरामद करने के बाद बिना कागजी कार्रवाई पूरी किए ये मोबाइल विधायक के निज सचिव को सौंप दिया. जब लल्लूराम डॉट कॉम ने GRP के अधिकारियों से ये पूछा कि बिना कागजी कार्रवाई के ये मोबाइल उन्हें कैसे सौंप दिया गया, तो उनका कहना था कि ये तो उच्च अधिकारी ही बता पाएंगे. यानी पूरा गिरोह पकड़ा गया है, लेकिन अभी जीआरपी को मोबाइल मालिकों के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है और अभी इसकी जानकारी खंगाली जा रही है. बता दें कि जीआरपी ने विधायक के मोबाइल चोरी होने और अभी मोबाइल विधायक के निज सचिव के पास होने की पुष्टि की है.

ये है गिरोह को पकड़े जाने की असली कहानी

सूत्र बताते है कि विधायक का मोबाइल पार करने के बाद RPF-GRP दोनो हरकत में आए. सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाने लगे. आरपीएफ की ट को एक संदिग्ध युवक मिला. आरपीएफ की टास्क टीम (Task Team) पूरी तरह रेलवे स्टेशन में मुस्तैद हो गई और उन्हें उम्मीद थी कि चोर गिरोह पुनः चोरी करने रायपुर रेलवे स्टेशन में जरूर आएगा. गिरोह के तीन सदस्य शुक्रवार को जनशताब्दी एक्सप्रेस में पुनः चोरी करने पहुंचे. यहां उन्होंने दो मोबाइल चोरी करने में सफलता भी हासिल की. इसमें गिरोह का एक सदस्य मोबाइल लेकर तत्काल अपने ठिकाने पर रवाना हो गया और बाकी एक नाबालिग समेत एक को रेलवे स्टेशन में आरपीएफ के दो मुस्तैद टास्क टीम (Task Team) के सदस्यों ने दबोच लिया. इसके बाद उनसे पूछताछ हुई और गिरोह के तीसरे सदस्य को देर रात दबोचा गया. जिनके पास से विधायक का मोबाइल समेत कुल 29 मोबाइल मिले और बिना कागजी कार्रवाई किए एक मोबाइल विधायक को सौंप दिया गया. यानी कागजों में विधायक का मोबाइल चोरी ही नहीं हुआ और जो 28 मोबाइल बरामद हुए उसमें अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं है.

सबसे शातिर था नाबालिग, मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग ली झारखंड से

विधायक के जेब से मोबाइल पार करने वाला कोई और नहीं बल्कि एक 13 वर्षीय नाबालिग था. सूत्र बताते है कि ये गिरोह पिछले 6-7 महीने से रायपुर के फाफाडीह और श्री नगर इलाके में 2-2 का समूह बनाकर रहते थे. कुछ महीने की रेकी करने के बाद उन्होंने पिछले कुछ दिनों में ताबड़तोड़ मोबाइल चोरी करना शुरू किया. चोरी के बाद वे सिम निकालकर फेंक देते थे और मोबाइल बंद कर अपने कमरे में रख देते थे. इसके बाद ये मोबाइल वे झारखंड ले जाकर बेचते थे. नाबालिग से पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि उसने मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग ली है.

ये गिरोह ऐसे करते थे मोबाइल चोरी

गिरोह से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि वे धक्का-मुक्की कर टारगेट यात्री को उल्झाकर रखते थे और झोले की आड़ में मोबाइल पार करते थे. टारगेट यात्री के जेब से मोबाइल चोरी करने की जिम्मेदारी नाबालिग की होती थी और वे जब तक चोरी का सामान अपने पीछे मौजूद गिरोह के अन्य सदस्य को नहीं सौंप देता था वो धक्का-मुक्की करता रहता था. यात्री उसे नाबालिग समझते थे. गिरोह का दूसरा सदस्य मोबाइल को अपने पीछे मौजूद तीसरे सदस्य को सौंपकर सीधे अपने ठिकाने के लिए निकल जाता था और बाकी बचे दो सदस्य अन्य टारगेट की तलाश में जुटे रहते थे.