नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने गुरुवार को भलस्वा लैंडफिल में आग लगने के मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. आग मामले की जांच के बाद दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने गुरुवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को रिपोर्ट सौंपी थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में एमसीडी की ओर से लापरवाही का आरोप लगाया है. मंत्री गोपाल राय ने डीपीसीसी जांच रिपोर्ट के आधार पर जुर्माना लगाया है. आग पर काबू पाने के लिए दमकल की चार गाड़ियां अभी भी काम कर रही हैं. गोपाल राय ने बुधवार को नगर निगम में ‘भ्रष्टाचार’ को शहर में लैंडफिल पर लगातार आग लगने का एक कारण बताया. बता दें उत्तरी दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल में मंगलवार को भीषण आग लग गई थी. इसी के साथ पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट पर इस साल आग लगने की 3 घटनाएं हुई हैं.
मीथेन गैस के कारण आग लगने की आशंका
भलस्वा लैंडफिल में लगी आग स्थानीय लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन गई है. फायर बिग्रेड आग को बुझाने की कोशिश कर रही है, हालांकि आग पर अभी भी पूरी तरह से काबू नहीं किया जा सका है. आग और उसके कारण उत्पन्न हुआ प्रदूषण स्थानीय लोगों के साथ-साथ स्कूली छात्रों के लिए भी खतरनाक बनता जा रहा है. इसी को देखते हुए भलस्वा लैंडफिल साइट के समीप स्थित एक स्कूल को एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने लैंडफिल साइट्स पर लगने वाली आग की घटनाओं पर अपनी गंभीरता जताते हुए बताया कि दिल्ली में इस समस्या से स्थायी रूप से नियंत्रण पाने के लिए मुंबई के डंपिंग स्थल पर लगे हुए गैस सकिंग सिस्टम को अपनाने के लिए डीपीसीसी और एमसीडी को निर्देश दिए हैं.
लोगों को धुएं से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं
मंगलवार को भलस्वा की लैंडफिल साइट में लगी आग की घटना के बारे में जानकारी देते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि डीपीसीसी को 24 घंटे में पूरी घटना की विस्तृत जांच करके रिपोर्ट विभाग को सौंपने के निर्देश जारी किये गए हैं. डीपीसीसी की रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि लैंडफिल साइट्स में लगातार लग रही आग भाजपा द्वारा संचालित एमसीडी के भ्रष्टाचार का नतीजा हैं. पिछले 15 सालों से सो रही एमसीडी की लापरवाही ही दिल्ली में कूड़े के पहाड़ बनने का कारण हैं. यदि समय समय पर इसके निवारण के लिए नई उपलब्ध तकनीकों को अपनाया जाता, तो आज दिल्लीवाले धुएं में जिन्दगी नहीं व्यतीत कर रहे होते.
आग रोकने के लिए कचरा डंप करने के बाद लगानी चाहिए मिट्टी की परत
एक्सपर्ट्स ने कहा है कि डंपिंग ग्राउंड पर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कचरा पहाड़ पर कचरा डंप करने के बाद नियमित रूप से मिट्टी की एक परत लगानी चाहिए. पिछले 30 दिनों में डंपिंग यार्ड में आग लगने की यह दूसरी बड़ी घटना है. 28 मार्च को पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट से भी ऐसी ही एक घटना सामने आई थी. दिल्ली की भलस्वा लैंडफिल में आग लगने के मामले को लेकर दिल्ली सरकार ने दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) से रिपोर्ट मांगी है. डीपीसीसी को 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली सरकार ने एमसीडी के कामकाज की निंदा करते हुए कहा कि लैंडफिल साइट में लगी आग एमसीडी में हो रहे भ्रष्टाचार का नतीजा है. दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली के कूड़े के पहाड़ पिछले 15 सालों की एमसीडी के लापरवाही का नतीजा हैं. दिल्ली के पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक लैंडफिल साइट्स में आग लगने का सबसे बड़ा कारण उसमें से लगातार निकलने वाली मीथेन गैस है. यह मीथेन गैस न केवल आग की घटनाओं को बढ़ावा देती है, बल्कि वायुमंडल के लिए भी हानिकारक है. दिल्ली सरकार के विशेषज्ञों का कहना है कि एमसीडी अपने काम को सही तरीके से कर रही होती, तो इसे काफी पहले रोका जा सकता था.
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