नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद डॉ हर्षवर्धन दिल्ली के नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के शपथ ग्रहण कार्यक्रम से नाराज होकर लौट गए. शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री को जिस स्थान पर बैठाया जा रहा था, वह उससे संतुष्ट नहीं थे. गौरतलब है कि दिल्ली के नवनियुक्त उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने गुरुवार को दिल्ली के 22वें उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दो दिन पहले ही उनकी नियुक्ति का आदेश जारी किए थे.

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अधिकारी मनाने गए, लेकिन नहीं माने बीजेपी सांसद हर्षवर्धन

उपराज्यपाल वीके सक्सेना के शपथ ग्रहण समारोह से बाहर जाते हुए डॉ हर्षवर्धन ने शिकायत भरे लहजे में कहा कि यहां संसद सदस्य के लिए एक सीट तक नहीं रखी गई. उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को कहा कि मैं उपराज्यपाल विनय सक्सेना को इस बारे में लिखूंगा. अधिकारी उन्हें मनाने के लिए उनके पीछे-पीछे गए, लेकिन हर्षवर्धन नहीं रुके. वे समारोह स्थल से बाहर निकले और अपनी गाड़ी में बैठकर चले गए. जिस समय हर्षवर्धन नाराज होकर कार्यक्रम स्थल से निकले, उस समय शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ था.

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पिछले हफ्ते अनिल बैजल ने उपराज्यपाल के पद से दिया था इस्तीफा

गौरतलब है कि वीके सक्सेना ने अनिल बैजल की जगह ली, जिन्होंने पिछले हफ्ते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि “भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विनय कुमार सक्सेना को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं. उनकी नियुक्त उस दिन से प्रभावी मानी जाएगी, जिस दिन वह अपना पदभार ग्रहण करेंगे.” इसमें ये भी कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में अनिल बैजल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. बता दें कि अनिल बैजल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए उपराज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया था.

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खादी आयोग में 248 फीसदी की वृद्धि लाने वाले शख्स रहे हैं वीके सक्सेना

विनय कुमार सक्सेना के नेतृत्व में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) में 248 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई और सिर्फ 7 साल में 40 लाख रोजगार सृजित हुए. 63 वर्षीय वीके सक्सेना उपराज्यपाल पद के लिए चुने गए पहले कॉर्पोरेट व्यक्ति हैं. उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार में जन्मे सक्सेना ने 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उनके पास पायलट का लाइसेंस भी है. उन्होंने 1984 में जेके ग्रुप के साथ राजस्थान में सहायक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया. व्हाइट सीमेंट प्लांट के साथ विभिन्न क्षमताओं में 11 वर्षों तक काम करने के बाद उन्हें 1995 में गुजरात में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना की देखरेख के लिए महाप्रबंधक के रूप में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद वह तेजी से सीईओ बने और बाद में धोलेरा पोर्ट प्रोजेक्ट के निदेशक के रूप में पदोन्नत हुए.

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अक्टूबर 2015 में वीके सक्सेना बने केवीआईसी के अध्यक्ष

विनय कुमार सक्सेना ने 1991 में व्यापक रूप से प्रशंसित एनजीओ- नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (एनसीसीएल) की स्थापना की, जिसका मुख्यालय अहमदाबाद में है. एनसीसीएल ने नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) के विरोधियों का कानूनी और सामाजिक रूप से कड़ा विरोध किया, जो गुजरात की जीवनरेखा है. अक्टूबर 2015 में सक्सेना को केवीआईसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों की अप्रयुक्त धाराओं की खोज की और पहली बार ‘हनी मिशन’, ‘कुम्हार सशक्तिकरण योजना’ और ‘चमड़ा कारीगर’ जैसी कई नवीन रोजगार-सृजन योजनाओं को लागू किया.

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विनय कुमार सक्सेना को मिल चुका है अंतरराष्ट्रीय सम्मान

विनय कुमार सक्सेना (वीके सक्सेना) के कार्यकाल के दौरान केवीआईसी ने पहली बार 2021-22 में 1.15 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक कारोबार किया, जो भारत में अब तक केवीआईसी और किसी भी एफएमसीजी कंपनी के कारोबार से सबसे अधिक है. 2016 से 2022 तक सक्सेना को ‘लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार’ के मूल्यांकन के लिए अधिकार प्राप्त समिति के सदस्य के रूप में नामित किया गया था. मई 2008 में वीके सक्सेना ने गुजरात में ‘पर्यावरण संरक्षण और जल सुरक्षा में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए यूनेस्को, यूनिसेफ और यूएनडीपी के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र सतत विकास दशक (यूएनडीईएसडी) द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया.