राजनांदगांव. एक फिर शिक्षा के मंदिर को शर्मसार होना पड़ा. शिक्षा का कारोबार करने वालों ने समय पर फीस न देने के चलते एक छात्रा को परीक्षा देने से ही वंचित कर दिया. इस मासूम छात्रा का सिर्फ इतना ही दोष था कि उसके परिजनों ने परीक्षा के पहले स्कूल की फीस नहीं चुकाई थी. हालांकि बाद में मामला प्रशासन के पास पहुंचने के बाद स्कूल प्रबंधन ने इस छात्रा को परीक्षा में बैठने दिया और अपने कारनामों पर पर्दा डालने के लिए पूरे मामले को ही झूठा बता दिया.
मामला राजनांदगांव के रामनगर स्थित ड्रीम इंडिया स्कूल का है. इस स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने अपनी बच्ची की फीस समय पर जमा नहीं की थी, जिसके चलते स्कूल प्रबंधन ने उनकी बच्ची को परीक्षा में बैठाने से मना कर दिया.
इसके बाद ये परिजन मामले की शिकायत लेकर अपर कलेक्टर के पास पहुंचे. अपर कलेक्टर के पास मामला पहुंचते ही स्कूल प्रबंधन के स्वर ही बदल गये. स्कूल की प्राचार्या ने इस तरह की किसी भी घटना से इंकार कर दिया. इतना ही नहीं बिना फीस जमा कराये उस बच्ची को परीक्षा में भी बैठने दिया गया.
हालांकि इस मामले में प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद बच्ची को परीक्षा देने की अनुमति मिल गई लेकिन सवाल है कि यदि किसी बच्चे के परिजन किसी कारणवश समय पर फीस जमा नहीं कर पाते हैं तो उनके बच्चों को परीक्षा में बैठने दिया जाये या नहीं और यदि कोई स्कूल छात्र को साल भर की मेहनत के परीक्षा में बैठने से वंचित रखता है, तो उसके खिलाफ प्रशासन द्वारा क्या कार्रवाई की जानी चाहिए.