कुमार इंदर, जबलपुर। jabalpur municipal corporation election: जबलपुर शहर में निकाय चुनाव के बाद अब सदन का सभापति कौन होगा इसको लेकर जंग छिड़ चुकी है। गद्दी को लेकर मचा गदर थमने का नाम नहीं ले रहा है। कल (बुधवार) सभापति के लिए वोट डाले जाने हैं। उसके पहले ही बीजेपी ने अपने 44 पार्षदों को एक निजी होटल में छिपा कर रखा है। जाहिर है बीजेपी को सभापति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। यह स्थिति तब है जब अब तक कांग्रेस ने सभापति के लिए अपना कोई भी कैंडिडेट तय नहीं किया है, फिर भी बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है कि, कहीं कांग्रेस का एक छक्का, सदन के सभापति पद पर भी कब्जा ना कर ले। सूत्रों की माने तो बीजेपी के सात पार्षद कांग्रेस के संपर्क में है और यही बात बीजेपी को हलकान कर कर रखी हुई है । इसी का नतीजा है कि बीजेपी के सभी पार्षदों और नेताओं को अंडर ग्राउंड कर दिया गया है।
अंडर ग्राउंड हुए बीजेपी के बल्लेबाज
गद्दी के लिए मजे गदर पर बीजेपी कुछ भी कहने से बच रही है यही वजह है कि पार्षदों को अंडरग्राउंड करने के बाद बीजेपी के बीच सभी नेता जो अब तक सभी मुद्दों पर खुलकर बयानों की बल्लेबाजी करते थे अब वह भी अंडरग्राउंड हो गए हैं।
कांग्रेस ने नहीं खोला अभी तक अपना पता
कल नगर निगम में सदन के सभापति के लिए वोटिंग होना है लेकिन अभी तक कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट तय नहीं किया है। कांग्रेस के मेयर जगत बहादुर सिंह अन्नू का कहना है कि, वह इस मामले को लेकर आज एक बैठक करेंगे जिसमें यह तय किया जाएगा कि कांग्रेस का सभापति के लिए कैंडिडेट कौन होगा।
क्या है सदन का समीकरण
नगर निगम के सदन का समीकरण समझा जाए तो, नगर निगम में कुल 79 वार्ड आते हैं जिसमें से 44 वार्डों पर बीजेपी के पार्षद जीत कर आए हैं वहीं 26 वार्ड में कांग्रेस के पार्षदों ने जीत दर्ज की है, जबकि 7 वार्ड पर निर्दलीय पार्षदों का कब्जा है वहीं इस बार नगर निगम में पहली बार एआईएमआईएम के दो पार्षदों ने भी अपना खाता खोला है।
क्या कह रहा है गद्दी का गणित
सदन के सभापति की कुर्सी के लिए कुल 40 पार्षदों की जरूरत है। बहुमत के हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी के 44 और एक निर्दलीय पार्षद यानी कुल 45 पार्षदों के साथ बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत से 5 पार्षद ज्यादा है। वहीं कांग्रेस के पास 26 पार्षद है। जबकि छह निर्दलीय और दो एआईएमआईएम के पार्षदों का उसे समर्थन है इस तरह कांग्रेस के पास कुल 34 पार्षद हो रहे हैं ऐसे में कांग्रेस को छक्के की और जरूरत है। यानी अगर कांग्रेस को 6 और पार्षदों का समर्थन मिलता है तो मेयर के बाद सदन के सभापति पद पर भी कांग्रेस का कब्जा होगा।
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