पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। शिक्षिका की लगन थोड़ी अतिरिक्त मेहनत और गांव के बच्चे बन गए तकनीकी नवाचारी. कौंदकेरा अटल टिंकरिंग लैब में छात्रों ने पानी व कचरे का उपयोग करने वाली मशीन बनाई है, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इस नवाचार ने स्कूल को राष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाई है.
ग्रामीण परिवेश के बच्चों को पढ़ाई के साथ नवाचार के जरिए तकनीकी ज्ञान भी दिया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित अटल टिंकरिंग लैब के जरिए ग्रामीण अंचल के बच्चों के दक्षता का परिचय कर उनके हुनर के मुताबिक तकनीकी नवाचार से जोड़कर उनकी प्रतिभा को निखारने का काम किया जा रहा है. जिला में कौंदकेरा के अलावा अकलवारा, सिवनी, खड़मा, राजिम में अटल टिंकरिंग लैब संचालित है. इनमें से कौंदकेरा टिंकरिंग लैब के बच्चों ने शिक्षक की मदद से को यंत्र बनाए हैं, उनकी चर्चा दिल्ली तक हो रही है.
कौंदकेरा टिंकरिंग लैब में पदस्थ शिक्षिका मीनाक्षी शर्मा एमएससी इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई की है. उन्होंने बताया कि लैब की स्थापना वर्ष 2019 में हुई थी, लेकिन कोविड की वजह से शिक्षा सत्र 2021 से यहां तकनीकी नवाचार शुरू किया गया. लैब में 6वीं से लेकर 12 तक पढ़ने वाले 50 बच्चों को तकनीकी नवाचार का ज्ञान दिया जा रहा है. मीनाक्षी ने बताया कि स्थानीय जरूरत व समस्या को देखते हुए ऐसे चार डिवाइस तैयार किया, जिसे राष्ट्रीय स्तर तक पहचान मिली है.
मीनाक्षी की लगन व मेहनत को देखते हुए उन्हें तकनीकी नवाचार शिक्षा का जिला नोडल अधिकारी बनाया गया है. इसमें कौंदकेरा स्कूल के शिक्षक सतीश मालवीय, भावना देवांगन, रितेश पटेल सहयोगी की भूमिका अदा कर रहे हैं.
वेजिटेबल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम ने दिलाई पहचान
मीनाक्षी राजिम की रहने वाली हैं. राजिम में सब्जी की बड़ी मंडी है. मंडी में फैले कचरे से होकर रोजाना स्कूल आना-जाना करती हैं. सब्जियों के इस वेस्ट का सदुपयोग करने एक मॉडल तैयार किया. इस प्रोजेक्ट को मार्च 2022 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकथान राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल किया गया. इस हैकथान में देश के 9500 संस्थानों ने भाग लिया था, जिसमें कौंदकेरा तकनीकी लैब का मॉडल 30 वे स्थान पर जा पहुंचा. लेकिन फाइनल राउंड में तकनीकी दिक्कतों की वजह से बाहर होना पड़ा.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तीसरे स्थान पर
इसी तरह बीते अगस्त माह में राजधानी रायपुर में श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी की ओर से साइंस कॉर्निवाल का आयोजन किया गया था. इसमें राज्य के 54 निजी व सरकारी संस्थानओं ने भाग लिया था, जिसमें मीनाक्षी की टीम द्वारा तैयार रेन वाटर हार्वेस्टिंग डिवाइस को तीसरा स्थान मिला. इसके अलावा कौंदकेरा अटल टिंकरिग लैब ने वाटर कंट्रोल डिवाइस तैयार किया है, जो मोटर चालू करने के बाद उसी हाल में घर छोड़ कर जाने वाले किसान के पानी की बरबादी व मोटर जलने के नुकसान से बचाएगा. इसके अलावा कुंआ से कम मेहनत से पानी निकालने वाला सरल जल उत्थापक यंत्र भी बनाया गया है.
यू ट्यूब पर अपलोड किया वीडियो
गरियाबंद जिले में तकनीकी नवाचार शिक्षा का नोडल अधिकारी मीनाक्षी ने बताया कि लैब द्वारा विकसित सभी उपकरणों की लागत 500 से 1000 रुपए के बीच की है. मॉडल पेटेंट कराने की प्रक्रिया के बाद इसे आसानी से मार्केट में भी उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोई भी सरलता से इस यंत्र को बना कर उसका सदुपयोग सके, इसके लिए उनकी टीम ने वीडियो तैयार कर ghss kaundkera के नाम पर बने यूट्यूब चैनल में अपलोड कर दिया है.
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