नई दिल्ली। मात्रात्मक त्रुटि अथवा अंतर की वजह से प्रदेश के अनुसूचित जनजाति के लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित नहीं होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की स्वीकृति दी गई है. इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रयास से प्रदेश के अनुसूचित जनजाति के लोगों की समस्या का निराकरण हुआ है.

इनमें से छत्तीसगढ़ के 12 समुदायों को शामिल किया है, जिसमें भारियाभूमिया (BhariaBhumia) के पर्याय के रूप में भूईया (Bhuinya), भूईयां (Bhuiyan), भूयां (Bhuyan). Bharia नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया (Bharia) के रूप में भारिया (Bharia) का सुधार. इसके अलावा पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो. धनवार (Dhanwar) के पर्याय के रूप में धनुहार (Dhanuhar), धनुवार (Dhanuwar), गदबा (Gadba, Gadaba). गोंड (Gond) के साथ गोंड़, कोंध (Kondh) के साथ कोंद (Kond), कोडाकू (Kodaku) के साथ कोड़ाकू (Kodaku). नगेसिया (Nagesia), नागासिया (Nagasia) के पर्याय के रूप में किसान (Kisan). धनगढ़ (Dhangad) का परिशोधन धांगड़ (Dhangad) किया गया है.

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते साल 11 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जारी अनुसूचित जनजाति की सूची में विभिन्न जनजाति को शामिल करने की मांग की थी. इसी के साथ भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय को अनुसूचित जनजाति की सूची में मात्रात्मक – वर्तनी त्रुटि के निराकरण के लिए भेजे गए प्रस्ताव का निराकरण करने की मांग की थी. केंद्र सरकार का कदम मुख्यमंत्री के पत्र के बाद उठाया गया कदम है.

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