पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में जिला प्रशासन, पंचायती राज व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहा है। जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने स्थानांतरण नीति 2021-22 का पालन नहीं करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों के स्थानांतरण में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की उपेक्षा की गई। अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री, जिले के प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायक को दखल देना है तो पंचायती राज व्यवस्था खत्म कर देना चाहिए। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया कि जिला पंचायत के अधिकारी-कर्मचारी विभाग को शराबियों का अड्डा बना रहे है।
दरअसल जिला पंचायत अध्यक्ष के कमरे में प्रेस वार्ता की गई। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सदस्य मौजदू रहे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत सचिवों के स्थानांतरण में हम लोगों की उपेक्षा की गई है। वहीं जिला पंचायत सीईओ से जब सचिवों के स्थानांतरण की सूची को लेकर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि सचिवों के स्थानांतरण में हमारा कोई रोल नहीं है। इस संबंध में कलेक्टर और प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से स्थानांतरण सूची जारी की गई है।
जिस पर अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित सदस्यों ने जिला प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि जिला पंचायत के कार्यों में भी प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायकों को दखल देना है तो उन्हीं को जिला पंचायत कार्यालय में बैठा दिया जाना चाहिए और पंचायती राज व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए।
ये है पूरा मामला
यह पूरा मामला जिला पंचायत सभागार में सोमवार को हुई सामान्य प्रशासन की बैठक से जुड़ा है। जहां बैठक के दौरान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के सवाल पर जिला पंचायत के सीईओ साकेत मालवीय ने गोलमोल जवाब दिया। जिस पर अध्यक्ष उपाध्यक्ष ने जिला पंचायत सीईओ को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जिला पंचायत में क्षेत्र की जनता ने हमें चुनकर बैठाया है। अगर हमारे अनुमति के बिना कोई काम हो रहा है तो निश्चित रूप से हमारी उपेक्षा की जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष सोनम सिंह और उपाध्यक्ष अर्चना सिंह ने जिले के कई विभागों के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि विभागों में जो भी कार्य हुए है, उनके संबंध में सामान्य प्रशासन की बैठक में जब जानकारी मांगी गई, तो अधिकारी गोलमोल जवाब देते हुए मुद्दे से भटकाने में लगे हुए थे। इस दौरान जब सदस्यों ने हंगामा शुरू किया तो जिला पंचायत के सीईओ ने सभा के दौरान ही हंगामा न किए जाने की नसीहत तक दे डाली।
इसके बाद सदस्यों ने जिला पंचायत सीईओ को निर्देश देते हुए कहा कि अब तक आप की मर्जी चलती थी, लेकिन अब नहीं चलेगी। साथ ही विभागों में घोटाले किए जाने के सवालों पर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने कहा कि सभी की जांच कराई जाएगी। अगर भ्रष्टाचार किया गया है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
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