नई दिल्ली। चीन एक बार फिर से पाकिस्तान में रह रहे आतंकवादी के लिए मददगार बनकर सामने आया है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और भारत की पाकिस्तानी चरमपंथी हाफ़िज़ तल्हा सईद को ब्लैकलिस्ट करने की कोशिश को नाकाम कर दिया है. चीन के इस कदम से भारत के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर लगाम कसने के प्रयासों को धक्का लगा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने राहत की सांस ली है. इसे भी पढ़ें : डाकुओं की धमकी से दहशत : खत में लिखा – दिवाली तक लूट लेंगे गांव, बच्चों की किडनी निकाल लेंगे, बचना है तो हर घर से 2000 रुपए पहुंचा दो
यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादियों की मददगार बनकर सामने आया है. बीते चार महीनों के दौरान पाँचवीं बार चीन ने पाकिस्तानी चरमपंथियों को संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने से रोका है. आइए जानते हैं उन पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों के बारे में जिन्हें चीन ने ब्लैकलिस्ट होने से बचाया है.
हाफ़िज़ तल्हा सईद
ताजा मामले में चीन ने लश्करे तैयबा के प्रमुख और मुंबई हमलों के प्रमुख अभियुक्त हाफ़िज़ सईद के बेटे हाफ़िज़ तल्हा सईद को ब्लैकलिस्ट होने से रोका है. 48 साल के हाफ़िज़ तल्हा सईद को इसी साल अप्रैल में भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित करते हुए कहा था कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान में भारत के हितों पर हमलों के लिए सक्रिय तौर पर चरमपंथियों के चयन, फ़ंड इकट्ठा करने और हमलों को अंजाम देने में शामिल रहा है.
बता दें कि हाफ़िज़ तल्हा पाकिस्तान में मौजूद लश्कर के सेंटरों में जाकर भारत, इसराइल और अमेरिका के ख़िलाफ़ जिहाद छेड़ने की बात करता रहता है. वो लश्कर का सीनियर लीडर होने के अलावा चरमपंथी संस्था के धार्मिक विंग का प्रमुख भी है.
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शाहिद महमूद
चीन ने हाफिज तल्हा सईद के पहले मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में चरमपंथी संगठन लश्करे तैयबा के नेता शाहिद महमूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को रोक दिया था. इस प्रस्ताव को भी भारत और अमेरिका संयुक्त रूप से लेकर आए थे.
अमेरिका के वित्त विभाग ने दिसंबर 2016 में ही महमूद और लश्कर के एक अन्य लीडर मोहम्मद सरवर को आतंकवादी घोषित कर दिया था. कराची में रहने वाला महमूद साल 2007 से लश्कर से जुड़ा है. का वरिष्ठ नेता है. जून 2015 से जून 2016 तक लश्करे तैयबा के लिए फंड इकट्ठा करने वाली संस्था फ़लाह-ए-इंसानियात फ़ाउडेंशन का वाइस चैयरमेन रहा है. इससे पहले वो साल 2014 में कराची क्षेत्र में इस संस्था का प्रमुख था.
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अब्दुल रहमान मक्की
चीन की बदमाशी इसके पहले भी जून महीने में पाकिस्तानी चरमपंथी अब्दुल रहमान मक्की पर प्रतिबंध लगाने के दौरान सामने आई थी, जब भारत और अमेरिकी कोशिश को अंतिम पल में चीन ने अडंगा लगा दिया था. लश्करे तैयबा का प्रमुख हाफ़िज़ सईद का साला मक्की पहले से ही अमेरिका में एक घोषित आतंकवादी है.
अब्दुल रहमान मक्की जमात उद दावा में दूसरे नंबर के नेता हैं. हाफ़िज़ सईद की बीमारी के कारण वे कई मायनों में संगठन का प्रमुख है. अमेरिका का दावा है कि मक्की लश्करे तैयबा के ट्रेनिंग कैंपों को फंड करता है. अमेरिका के रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम के मुताबिक़ मक्की कई नामों से जाना जाता है. उसे हाफ़िज़ अब्दुल रहमान मक्की, अब्दुल रहमान मक्की, हाफ़िज़ अब्दुल रहमान जैसे कई नामों से जाना जाता है. अमेरिका ने उस पर 20 लाख डॉल का इनाम रखा हुआ है.
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अब्दुल राउफ़ अज़हर
चीन ने इसके बाद अगस्त में जैश-ए-मोहम्मद के वरिष्ठ नेता अब्दुल राउफ़ अज़हर पर पाबंदी लगाने के प्रस्ताव पर भी रोक लगा दी थी. अज़हर को अमेरिका ने वर्ष 2010 में आतंकवादी घोषित कर दिया था. अज़हर 2007 में भारत में जैश के सबसे वरिष्ठ कमांडरों में से एक था. वो भारत में जैश का कार्यकारी प्रमुख भी रह चुका है.
अज़हर दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली आ रही इंडियन एयरलाइन्स को हाईजैक करने के बाद दुनिया की नज़र में आया था. हाईजैकिंग का मक़सद जम्मू की कोट बलवाल में बंद मसूद अज़हर रिहा करवाना था. इसके बाद साल 2000 में संसद पर हुए हमले में भी राउफ़ का हाथ बताया गया था. साल 2016 में पठानकोट में एयर फ़ोर्स बेस पर चरमपंथी हमले के बाद भारत की एनआईए ने इंटरपोल से राउफ़ के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की थी. इंटरपोल ने अपने नोटिस में लिखा था कि राउफ़ एक टेरोरिस्ट गैंग के सदस्य हैं, जो भारत सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने के लिए वांटेड हैं.
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साजिद मीर
चीन ने सितंबर माह में लश्करे तैयबा के चरमपंथी साजिद मीर पर भी प्रतिबंध लगाने के प्रयास पर अडंगा लगाया था. 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए चरमपंथी हमले का मीर एक अभियुक्त है. इस हमले में 160 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी और इसने पूरे देश को दहला दिया था.
साजिद मीर भारत के मोस्ट वांटेड चरमपंथी हैं. अमेरिका ने उसे पकड़ने के लिए 50 लाख अमेरिका डॉलर का इनाम रखा हुआ है. इस वर्ष जून में पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड इकट्ठा करने के केस में 15 साल की सज़ा सुनाई थी. हालांकि, पाकिस्तान अतीत में साजिद मीर की मौत का दावा कर चुका है, लेकिन पश्चिमी देशों ने इस बात को नहीं मानी थी और पाकिस्तान से मीर की मौत का सबूत भी मांगा था. साजिद मीर का मुद्दा पाकिस्तान की एफ़एटीएफ़ से बाहर निकलने की योजना में प्रमुख विवाद बन गया था.
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