आलेख। विगत कुछ समय से भारत जैसे विकासशील देशों में अनियंत्रित शहरीकरण, कमज़ोर जल प्रबंधन और बदलती जीवनशैली ने डेंगू जैसी बीमारियों को बढ़ावा दिया है l घरों और बाहर में रुके और इकट्ठे पानी में पनपने वाले एडिस मच्छर इस बीमारी के वाहक होते हैं और थोड़ी सी जानकारी और सावधानी से आप न केवल डेंगू जैसी बीमारी को रोक सकते हैं, बल्कि कई और परेशानियो से भी निजात पा सकते हैं।
डेंगू इसी नाम के वायरस से होने वाली बीमारी है, जो कुछ परिस्थियो में जानलेवा हो सकती है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में हर साल लगभग 5 करोड़ लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं, जिनमें से लगभग 1% ही यानि 5 लाख मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती की ज़रूरत पड़ती है। डेंगू की बीमारी को उसकी तीव्रता के हिसाब से तीन प्रकार में बाटा जाता है (1) सामान्य डेंगू बुखार (2) डेंगू हिमोरेजिक बुखार (3) डेंगू बुखार के साथ शॉक (रक्तचाप कम होना)
क्या हैं डेंगू के लक्षण ?
सामान्यतः डेंगू के शुरुआती लक्षण में तेज़ बुखार, आंखों में दर्द, बदन का टूटना , तेज़ सिर दर्द और त्वचा में छोटे छोटे चकत्ते शामिल होते हैं। उलटी होना, पेट दर्द, सांस में दिक्कत की शिकायत बीमारी की तीव्रता बढ़ने के लक्षण होते हैं और ऐसे मरीज़ों को तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत होती है। उसी प्रकार छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग, गर्भवती महिलाएं, पेट के अल्सर के मरीज़, मधुमेह, रक्तचाप और किडनी के मरीज़ों को भी डेंगू होने में ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत होती है.
सामान्य डेंगू बुखार अधिकतर प्रकरणो में सामान्य इलाज से अपने आप 8-10 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन हेमोरेजिक बुखार और शॉक जैसी स्तिथि में मरीज़ को भर्ती करने की ज़रूरत होती है। अगर मरीज़ को पहले भी कभी डेंगू हुआ है, तो दूसरी बार डेंगू होने पर डेंगू बिगड़ने की सम्भावना ज़्यादा रहती है।
इन मरीज़ों में धड़कनें बढ़ना, हाथ पांव ठंडे होना ,रक्तचाप कम होना जैसे लक्षण “ वॉर्निंग साइन” होते है और इन्हें तुरंत ध्यान देना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेना डेंगू में सबसे ज़रूरी होता है, अगर मरीज़ मुंह से तरल पदार्थ लेने में असमर्थ हो तो उन्हें आई वी फ़्लूइड के ज़रिए शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखनी चाहिए। बुखार के लिए सिर्फ़ पैरासीटामाल लेन चाहिए, बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी अन्य दवाईयों के सेवन से बचना चाहिए। तेज़ बुखार में गीले कपड़े से शरीर पोंछना भी फ़ायदेमंद होता है।
क्या हैं डेंगू के बचाव बचाव ?
मच्छरों से फैलने वाली सभी बीमारियों की तरह डेंगू में भी बीमारी से बचाव सबसे अच्छा उपाय है। बीमारी के वाहक मच्छरों के पनपने वाली जगहो जैसे घर और बाहर पानी जमने वाली जगहों को जांचें, कहीं पानी जमा हो तो उसे तुरंत खाली करें। कूलर का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदल दें ।
घर के आस पास , आंगन में , बालकोनी में या छत पर टायर , बर्तन , खाली गमले , बोतल जैसे चीजें हों, जिसमें पानी इकठ्ठा होने की सम्भावना हो तो ये सामान वहां से हटा दें।
यदि पानी हटा ना सकें तो सप्ताह में दो बार वहां मिटटी का तेल डाल दें। छोटा मोटा तलाव आदि हो तो उसमे मच्छर के लार्वा खाने वाली मछली लाकर छोड़ दें। ये मच्छरों का पनपना रोकने में बहुत कारगर साबित होती हैं।
मच्छरदानी का उपयोग करें। साथ ही मच्छर भगाने वाली क्रीम, शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़े भी मच्छरों के काटने से बचाव करते है । प्रशासन द्वारा समय समय में किया जाने वाले छिड़काव और फोगिंग भी बचाव में सहायक होते हैं। घर और आस पास साफ़ सफ़ाई रखना भी फ़ायदेमंद होता है।
डेंगू जैसी बीमारी जानलेवा हो सकती है और घर और आस पास के कई लोगों को एक साथ हो सकती है, इसकी रोकथाम और बचाव से न केवल आप डेंगू से बच सकते है , साथ ही एक स्वस्थ समाज के निर्माण में भी सहायक हो सकते हैं।
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