रायपुर। छठ महापर्व की तैयारी में श्रद्धालु जुट चुके हैं. लोग छठ मैय्या को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं को जुटा रहे हैं. कुछ लोग नदी और तालाब पर घाट बना रहे हैं, तो कुछ लोग बाजार से पूजा की सामग्री और फलों की खरीदारी कर रहे हैं. इस साल छठ पूजा का महापर्व 28 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समापन किया जाएगा. छठ मैय्या के प्रिय 6 फल लाना व्रत करने वाले नहीं भूलते. आइए जानें ये 6 फल कौन से हैं और ये छठ मैय्या को क्यों प्रिय हैं….

नारियल

छठ मैय्या की पूजा में नारियल का बड़ा महत्व है. श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए नारियल चढ़ाने की मनौती भी मांगते हैं. इसलिए कुछ लोगों के डाले में कई-कई नारियल होते हैं. दरअसल, नारियल को देवी लक्ष्मी का स्वरूप और परम पवित्र फल माना गया है. छठ पर्व में पवित्रता का बड़ा महत्व है. नारियल को कोई पशु पक्षी जूठा नहीं कर सकता, इसलिए पूजा में नारियल अर्पित करने का विधान है.

केला

नारियल की भांति छठ मैय्या को केला अति प्रिय है. बिहार और पूर्वांचल में इसकी खेती भी खूब होती है, इसलिए इसकी उपलब्धता भी आसानी से हो जाती है. केला भगवान विष्णु का प्रिय फल है. केले के पौधे में विष्णु का वास माना जाता है. यह भी पवित्र फल है. इसे कच्चा ही तोड़कर लोग घर में पका लेते हैं, जिससे पशु-पक्षी इसे जूठा ना कर पाएं. इसकी पवित्रता की वजह से छठ मैय्या को केला प्रिय है. लोग मनोकामना पूर्ति के लिए छठ मैय्या को केले का घौद भेट करने का भी प्रण लेते हैं.

गन्ना

छठ पूजा में गन्ने का भी बड़ा महत्व है. कई स्थानों पर छठ पूजा के दिन शाम में आंगन में गन्ने का घर बनाकर उसके नीचे हाथी रखकर छठ मैय्या की पूजा की जाती है. कहते हैं इससे छठ मैय्या आनंद और समृद्धि प्रदान करती हैं. गन्ना का आवरण भी सख्त होता है, जिससे पशु-पक्षी इसे जूठला नहीं पाते हैं. इसकी पवित्रता की वजह से भी छठ मैय्या को गन्ना प्रिय है. छठ में ईख से बने गुड़ का प्रसाद भी इसीलिए बनाया जाता है.

डाभ नींबू

सामान्य नींबू से बड़े आकार का एक नींबू होता है, जो खाने में खट्टा मीठा लगता है. इस नींबू के डाभ नींबू कहते हैं. इसका आवरण मोटा होता है. इसके मोटे आवरण की वजह से पशु-पक्षी इसे जूठा नहीं कर पाते हैं, यही वजह है कि डाभ नींबू भी छठ मैय्या को बहुत प्रिय है.

सुपारी

किसी भी शुभ काम में सुपारी का प्रयोग अच्छा माना गया है. पान सुपारी लेकर ही पूजा का संकल्प तक किया जाता है. सुपारी बेहद सख्त फल है, इसे संस्कृत में पुगीफलम् कहा गया है. इसे भी देवी लक्ष्मी के प्रभाव में माना जाता है. बेहद सख्त और आवरण में रहने की वजह से इसे भी पशु पक्षी जूठा नहीं कर पाते. इन कारणों से छठ मैय्या को सुपारी चढ़ता है.

जल सिंघाड़ा

जल में फलने वाला फल जल सिंघाड़ा माता लक्ष्मी को प्रिय है. इसे रोगनाशक और शक्तिवर्धक माना जाता है. आयुर्वेद में इसे बहुत ही गुणकारी बताया गया है. जल में पाये जाने वाले इस फल का आवरण भी मोटा होता है. इसे भी पशु-पक्षी जूठा नहीं कर पाते इन्हीं कारणों से छठ मैय्या को यह प्रिय है.

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