दोहा। कतर में आज से शुरू हो रहा फीफा वर्ल्ड कप के इतिहास में सबसे महंगा आयोजन होने जा रहा है. केवल आयोजन पर ही नहीं बल्कि वर्ल्ड कप में शामिल टीमों पर भी पैसों की बरसात होगी.

शुरुआत करते हैं 1994 के फीफा वर्ल्ड कप से, तो इस आयोजन में 500 मिलियन डॉलर का खर्च आया था. 1998 विश्व कप में 2.3 बिलियन डालर, 2002 में 7 बिलियन डालर, 2006 में 4.3 बिलियन डालर, 2010 में 3.6 बिलियन डालर, 2014 में 15 बिलियन डालर और 2018 में 11.6 बिलियन डालर का खर्च आया था.

कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप के आयोजन की घोषणा 2010 में हुई थी. विश्व स्तरीय आयोजन के लिए कतर के पास 12 साल का समय था. इस दौरान कतर को 8 स्टेडियम के अलावा मेहमानों के रुकने के लिए होटल, नई रेल लाइन बिछाने और एयरपोर्ट का विस्तार करना था. इसके लिए कतर ने पैसा पानी की तरह बहाया.

एक अनुमान के मुताबिक, कतर ने अब तक 229 बिलियन डालर यानी भारतीय 17 लाख करोड़ रुपए तक खर्च कर चुका है. इस रकम से स्टेडियम को ठंडा करने के लिए कतर ने एडवांस्ड एयर कंडीशनिंग कुलिंग सिस्टम खरीदे, साथ ही स्टेडियम के लिए अमेरिका से की स्पेशल घास खरीदा.

यही नहीं कतर ने 2017 में यूरोप की सबसे बड़ी सुरक्षा कंपनी से 24 फाइटर जेट्स, 9 अत्याधुनिक हॉक एमके-167 ट्रेनिंग जेट 65 हजार करोड़ रुपए में खरीदने का अनुबंध किया. इसके अलावा ब्रिटेन से उसकी 2012 ओलिंपिक वाली विशेष सुरक्षा तकनीक मांगी. ​​​​आयोजन के दौरान सुरक्षा में कोई कोताही न हो इसके लिए कतर का नेशनल सिक्योरिटी सेंटर ड्रोन, CCTV और सेंसर के जरिए निगरानी करेगा.

विजेता टीम को मिलेगी इतनी रकम

अब मूल मुद्दे की बात पर आते हैं. आयोजन में कुल प्राइज मनी 3,568 करोड़ रुपए रखी गई है. विजेता टीम को 344 करोड़ मिलेंगे, वहीं रनअरअप को 245 करोड़ रुपए मिलेंगे. तीसरे स्थान पर आने वाली टीम को 219 करोड़ तो चौथे स्थान की टीम को 202 करोड़ रुपए मिलेंगे. यह सब यूएस डॉलर को भारतीय रुपए में तब्दील करने के बाद की स्थिति है.

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