पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले (Singrauli) के 2 गांवों में आजादी के 75 साल बाद भी प्रॉपर तरीके से ग्रामीणों को बिजली की व्यवस्था नहीं मिल पाई है। लिहाजा ग्रामीण खुद के तार, बांस बल्ली के सहारे बिजली का उपयोग करने के साथ ही बिजली विभाग की ओर से आने वाली भारी-भरकम बिल को भरने के लिए भी मजबूर हैं।
पूरा मामला जिले के आदिवासी अंचल चितरंगी विधानसभा का है। जहां आजादी के बाद आज तक इन गावों भौडार और अजनी में बिजली की सप्लाई नहीं पहुंच पाई है। अब तक खंभे तो विभाग ने किसी कदर लगा दिया, लेकिन केवल तार नहीं लगा पाया।
मजबूरन ग्रामीण गांव से दूर स्वयं के तार से बांस बल्ली के भरोसे बिजली घरों में जला रहे हैं। बगैर तार खंभे के ही विद्युत वितरण केंद्र के द्वारा उनको विद्युत का कनेक्शन देकर घर और मोटर पंप का बिल भी वसूला जा रहा है। ग्रामीण मजबूर होकर विभाग के बिल का भुगतान भी कर रहे हैं।
वहीं जब इस मामले में अपर कलेक्टर डीपी वर्मन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिले में विद्युत विहीन गांवों के लिए डीएमएफ फंड से 102 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। इसमें जिले के हर गांव में विद्युत पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक खंभे में तार क्यों नहीं लग पाए यह जांच का विषय है, अगर उपभोक्ताओं को बिजली का बिल दिया जा रहा है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जमा किए गए बिल की राशि भी वापस दिलाई जाएगी।
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