मनीष मारू,आगर मालवा। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में देवी की उपसना का पर्व चैत्र नवरात्रि श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी मंदिर में हवन-पूजन और कन्याभोज हुआ। इसी कड़ी में जिले के नलखेड़ा स्थित प्रसिद्ध देवी बगलामुखी मंदिर (Devi Bagalamukhi Temple) में नवमी पर भक्तों का भीड़ लगी रही। मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
बताया जाता है कि आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में देवी पीताम्बर स्वरूप में विराजित है। देवी बगलामुखी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त दूरदराज क्षेत्रों से भक्त पहुंचे। लोगों ने कतार में लगकर देवी के दर्शन किए। चैत्र नवरात्रि में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचे। यह सिलसिला सुबह से दोपहर तक चलता रहा। महानवमी पर होने वाले हवन में सैकड़ों लोगों ने समिधा डालकर पुण्य लाभ कमाया। चारों ओर से श्मशान से घिरे हुए देवी के मंदिर का तांत्रिक महत्व भी है। साल के दोनों नवरात्रि पर कई साधक तंत्र की साधना करते हैं। इसी तरह गुप्त नवरात्रि में भी यहां पर साधकों को तंत्र साधना करते देखे जा सकते हैं।
मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर आगर जिले की तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती भी विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर महाराजा युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहां की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। मंदिर के सामने ही एक दिव्य दीपमालिका है जिसकी स्थापना महाराज विक्रमादित्य ने करवाई थी। इसके अलावा मंदिर का सिंह द्वार भी अपने आप में अद्वितीय है।
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