वेंकटेश द्विवेदी, सतना। आज चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का आखरी दिन और भगवान राम का जन्मोत्सव है। जिसे लेकर घर हो या मंदिर सभी जगह पूजा भक्ति का दौर जारी है। मंदिरों को सजाया गया है शक्ति पीठों में भी देश के कोने कोने से लाखों लोग पहुंच रहे हैं। मध्यप्रदेश के सतना (Satna) जिले के मैहर शक्ति पीठ में भी रामनवमी (Ram Navami) में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जहां सुबह 3 बजे पुजारी पवन पांडेय ने देवी शक्ति पीठ में श्रृंगार और आरती की।

मैहर में अब तक देश के कोने कोने से आए लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर चुके है। कानून और सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से 6 कार्यपालिक मजिस्ट्रेट नियुक्त और 1300 पुलिस जवान तैनात है। 50 हजार से अधिक की संख्या में भक्त दर्शन के लिए सीढ़ियों और रोपवे से देवी के दरबार में पहुंच चुके है, जहां दर्शन के लिए भीड़ लगी हुई है। जिला प्रशासन के मुताबिक पहले ही दिन से लाखों की संख्या में भक्तों का तांता लगा हुआ है।

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मां शारदा शक्ति पीठ का परिचय

सतना जिले का प्रसिद्ध मैहर की मां शारदा शक्ति पीठ किसी परिचय की मोहताज नहीं है। मान्यता है कि देवी सती के गले का हार इसी त्रिकूट पर्वत पर गिरा था, जो माई हार के नाम से जाना जाता था। जो अपभ्रंस होकर मैहर हो गया । यहां विदेशों से भी श्रद्धालु मुराद मांगने देवी के दरबार हाजिरी लगाने आते हैं। कहा जाता है कि देवी किसी भी भक्त को खाली हांथ नहीं लौटने देती। यहीं कारण है कि दरबार मे श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। क्या राजा क्या रंक सभी देवी डेहरी में माथा टेकते है। नेता अभिनेता और कलाकरों ने भी देवी डेहरी से ही विश्व प्रसिद्धि पाई है। नवरात्रि में यहां रोजाना कई लाख श्रद्धालु आते है। शासन प्रशासन और मंदिर प्रबंधन सुरक्षा की ओर से भारी इंतजाम किए जाते है।

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किवदंती है कि देवी शारदा से अमरता का वरदान प्राप्त भक्त आल्हा प्राचीन काल से लेकर आज भी रोजाना देवी की प्रथम पूजा करते हैं। आज भी ब्रम्ह मुहूर्त में पुजारी पठ खोलने पर देवी का श्रृंगार और चरणों में पूजा के फूल चढ़ाते हैं। प्रधान पुजारी बताते है कि मैहर वाली देवी शारदा की प्रतिमा दसवीं शताब्दी की है। ग्रंथ के अनुसार आकाश मार्ग से भगवान शंकर जब माता सती की अधजली हालात में पार्थिव शरीर लेकर भटक रहे थे, तब मैहर के इसी त्रिकूट पर्वत की चोटी में देवी के गले का हार गिरा था। देवी का हार गिरने से कस्बे का नाम ‘माई हार’ पड़ गया और बोलचाल की भाषा मे धीरे धीरे कस्बे का नाम मैहर हो गया। चैत्र नवरात्रि मे प्रतिदिन कई लाख श्रद्धालु यहां आते हैं और दरबार मे मन में मुराद पाने के लिए जन सैलाब उमड़ा रहता है। जनश्रुति है कि देवी अपने हर भक्तों की मनोकामना पूरी करती है।

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