नीरज काकोटिया, बालाघाट। हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है.. ये लाइन बालाघाट की सरिता पटले पर सटीक बैठती है। दरअसल, एक गांव में पली बढ़ी सरिता का चयन सीआरपीएफ (CRPF) में हुआ है। अब वो देश की रक्षा करेगी। जब वो ट्रेनिंग कर गांव पहुंची तो परिजनों के साथ गांव वालों ने उसका जोरदार स्वागत किया।
बालाघाट के परसवाड़ा अंतर्गत ग्राम डोंगरिया मे होली और दिवाली दोनों त्योहारों जैसा नजारा देखने को मिला यह नजारा उस वक्त देखने को मिला जब गांव की ही एक बेटी का चयन सीआरपीएफ में हुआ और ट्रेनिंग के बाद जब वह अपने घर वापस लौटी।
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बता दें कि सरिता पटले परसवाड़ा क्षेत्र के डोंगरिया गांव की रहने वाली है। उनके पिता का नाम प्रताप पटले है। सरिता अपनी ट्रेनिंग पूरी कर जब अपने घर पहुंची तो परिजनों के साथ-साथ गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, ग्रामीणों ने फूल मालाओं के साथ बेटी का भव्य स्वागत किया। इस दौदारन जमकर आतिशबाजी की गई। ग्रामीणों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर खुशियां बांटते हुए बधाइयां दी।
सरिता पटले ने बताया कि देश की सेवा करने का अवसर मिला है, जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आज गांव वालों का मेरे प्रति जो आत्मीय वात्सल्य देखने मिला, इसे मैं बयां नहीं कर सकती। सरिता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता, गुरुजनों और मित्रों को दिया है।
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