पुष्पेंद्र सिंह, दंतेवाड़ा. जिले के माइनिंग विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि, जब भी अवैध उत्खनन का मामला सामने आता है कार्रवाई की जाती है. 6 महीने से रात भर माफिया नदी का सीना फाड़ रहे हैं. नगरपालिका से सटी इस खदान का दोहन अधिकारियों की सरपरस्ती में चल रहा है. शहर के बीचों-बीच ये हाल है तो जिले की अन्य खदानों में तो बे-रोकटोक दोहन चल रहा है. नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि, आवेदन बहुत पहले माइनिंग विभाग को दिया है, लेकिन वहां से स्वीकृति नहीं मिली है. नगरपालिका को रॉयल्टी भी नहीं मिल रही है, इससे नुकसान भी हो रहा है.


अधिकारियों की सेटिंग और वसूली का खेल ?
शहर के लोग रेत के लिए खासे परेशान हो रहे हैं. शहर के जो लोक घर बना रहे हैं, उनको रेत काफी मंहगी मिल रही है. रेत माफियों ने रेत को डंप किया हुआ है. जो रेत की ट्रॉली 700 से 800 रुपए की पड़ती थी, वो 2200 रुपए की पड़ रही है. घर बनाने के वालों की कमर टूटी जा रही है. अधिकारी मौन है. वजह साफ है वे जब कार्रवाई करते है तो तीन गुना ज्यादा वसूलते हैं, इसलिए फिटपास जारी नहीं हो रहा है और न ही माइनिंग विभाग स्वीकृति दे रहा है. ठेकेदारों को भी तीन गुना राशि चुकानी पड़ रही है, उनको भी रेत को लेकर खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

कार्रवाई करने पर कांप रहे हाथ
माइनिंग विभाग ने रेत तस्करों पर कभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है. रेत तस्करों ने रेत को डंप कर पहाड़ बना दिया है. शहर में आधा दर्जन से अधिक रेत माफिया हैं, जिन्होंने बड़ी मात्रा में रेत को डंप किया है. अब इसी रेत को लोगों को सोने के भाव में बेच रहे हैं. ये वो लोग हैं, जिनका ठेकेदारी से दूर-दूर तक कोई नाता भी नहीं है. ये सिर्फ अवैध रेत बेचने का ही काम कर रहे हैं. इस पूरे खेल को जिला प्रशासन आंखे बंद कर देख रहा है. बताया जा रहा है कि, विभाग की सरपस्ती में पूरा खेल चल रहा है.