कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पटवारी (Patwari Exam) सहित शिक्षक (Teacher Exam) और वन कर्मी परीक्षा (Forest Worker Exam) में धांधली मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (High Court Gwalior Bench) में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने शासन को मामले की जल्द जांच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही जांच कमेटी में याचिकाकर्ता को शामिल करने के निर्देश भी दिए है।
दरअसल, उमेश बोहरे ने सीएमएचओ कार्यालय मुरैना, भिंड और ग्वालियर से जारी विकलांग सर्टिफिकेट और उसके आधार पर नौकरी पाने वाले लोगों के सर्टिफिकेट का भौतिक सत्यापन करने के साथ सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है। याचिका में इस बिंदु को भी प्रमुखता से उठाया गया है कि सीएमएचओ कार्यालय मुरैना में कान और आंखों से संबंधित विकलांगता के बारे में पटवारी सहित शिक्षा विभाग और वन कर्मी की परीक्षा में आवेदकों को तथाकथित फर्जी रूप से विकलांग प्रमाण पत्र जारी किए हैं।
इसमें करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है, जिससे हज़ारों आवेदकों का नुकसान हुआ है। नियुक्तियों में भी भ्रष्टाचार होने का मामला याचिका में उजागर किया गया। हाईकोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान शासन ने जहां पूर्व में ही मामले की जांच कमेटी गठित कर शुरू होने की बात बताई गई, जिस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से कहा कि यह जांच सीमा तीन जिला क्षेत्रो तक सीमित है, जबकि धांधली का यह काला खेल पूरे मध्यप्रदेश में हुआ है। ऐसे में जांच का विस्तार भी किया जाए।
इस पर उच्च न्यायालय ने शासन को मामले की जल्द रिपोर्ट पेश करने की बात कही। साथ ही जांच कमेटी में याचिकाकर्ता को शामिल करने के निर्देश भी दिए है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि फिलहाल जरूरी निर्देश के बाद याचिका को डिस्पोज कर दिया गया है, लेकिन यदि शासन ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की तो हाईकोर्ट में एक नई अवमानना याचिका पेश की जाएगी, जिसमें सीबीआई जांच की गुहार भी लगाई जाएगी।
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