सदि का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण यानी ब्लड मून खत्म हो गया. रात 11.54 मिनट पर चंद्रग्रहण की शुरुआत हुई थी. रात एक बजे पूर्ण चंद्रग्रहण शुरू हुआ जो 2.43 मिनट पर समाप्त हुआ. 3.49 मिनट पर आंशिक चंद्रग्रहण भी समाप्त हो गया. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस खगोलीय घटना में चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं. इससे चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है, जिसकी वजह से सूर्य की रोशनी उस तक नहीं पहुंच पाती. इस दौरान सूर्य के प्रकाश में मौजूद विभिन्न रंग पारदर्शी वातावरण में बिखर जाते हैं, लेकिन लाल रंग के साथ ऐसा नहीं होता और वह चांद तक पहुंच जाता है, जिससे चांद का रंग लाल नजर आता है और इसे ही ‘ब्लड मून’ कहते हैं.
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रायपुर. 27 जुलाई को बीते चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर रहा. अमूमन चांद से धरती की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है, लेकिन चंद्रग्रहण के दौरान चांद की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 4,06,700 किलोमीटर रही. इस घटना को अपोगी कहा जाता है. साल 2018 में कुल पांच ग्रहण होंगे. इसमें तीन सूर्यग्रहण जबकि दो चंद्रग्रहण हैं. ये दोनों चंद्रग्रहण अब पूरे हो चुके हैं, क्योंकि गत 31 जनवरी को पहला चंद्रग्रहण दिखाई दिया था.
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वैज्ञानिकों का मानना है अगला बड़ा चंद्रग्रहण 9 जून 2123 में दिखाई देगा. धर्माचार्यों के अनुसार इस बार के चंद्रग्रहण की अवधि अधिक होने से इसका असर भी अधिक रहेगा. शुक्रवार को चंदग्रहण रात 11:54 से शुरू हुआ लेकिन सूतक दोपहर 2:54 बजे से ही लग गया था.
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गुरु पूर्णिमा की पूजा भी सूतक लगने से पहले ही कर ली गई. आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि खराब मौसम के कारण भले ही चांद दिखाई न दिया हो फिर भी इसका प्रभाव पूरा रहेगा. असर दिखने में छह महीने लग सकते हैं क्योंकि चंद्र ग्रहण का असर छह माह व सूर्य ग्रहण का असर एक साल में दिखाई देता है.
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जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, उन्हें चंद्रग्रहण के चलते तनाव का सामना करना पड़ सकता है. नदी व समुद्र किनारे बसे शहरों व देशों पर असर अधिक पड़ेगा क्योंकि चंद्रमा जल का कारक होता है और ज्वार भाटे का जन्म देता है. राजनीति पर भी इसका असर दिखाई देगा, साथ ही कई नेताओं की छवि भी खराब हो सकती है.
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