पुरषोत्तम पत्र, गरियाबंद। रिश्तों की कदर इंसान ही नहीं जानवर भी बेहतर समझते है, अपनापन और ममता का ऐसा ही एक नजारा जिले में देखने को मिला है. हाथियों के झुंड से एक नन्हें हाथी के बिछुड़ जाने से उसे ढ़ूंढते हुए 30 हाथियों का एक दल दोबारा गरियाबंद के उंदती अभयारण्य पहुंच गया, और अपने बच्चे को साथ लेकर वापस लौटा है.

दरअसल 12 दिन पहले ये बच्चा अपने झुंड से बिछुड गया था, तब हाथियों का ये झुंड गरियाबंद के उदंती अभयारण्य में डेरा डाले हुए था, फिर अचानक ओड़िसा की ओर चले गये थे, इस दौरान हाथी का बच्चा यहीं छूट गया था, बच्चे के गले में घाव था जिसका वन विभाग द्वारा इलाज कराया गया, साथ ही हाथी के बच्चे की देखभाल के लिए अंबिकापुर से स्पेशल एक महावत बुलाया गया,  बच्चे के ठीक होने के बाद वन विभाग उसे उसके झुंड से मिलाने को लेकर काफी उत्साहित था.

विभाग के सामने बच्चे को उनके झुंड से मिलाने की एक बडी चुनौती बनी हुई थी, मगर हाथियों का दल खुद ही वापिस आकर अपने बच्चे को साथ लेकर वापिस लौट गया.  हाथियों के इस अपनेपन और ममता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आधुनिकता की दौर में इंसान के आपसी रिस्ते भले ही कमजोर पडते जा रहे हों मगर उनके रिस्ते आज भी वैसे ही है जैसे उनकी पुरानी परंपराओं में रहे हैम.

बता दें कि अंबिकापुर से आए महावत के सहयोग से वाइल्ड लाइफ के डॉक्टर राकेश वर्मा व सोमेश जोशी ने घायल हाथी पर सतत निगरानी रख उसका बेहतर इलाज किया है. अब हाथी ठीक होकर अपने झुंढ में वापस शामिल हो गया है.