स्पेशल रिपोर्ट/अमित श्रीवास्तव/छत्तीसगढ़/ एक कहावत है कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’… लेकिन इस कहावत को गलत साबित कर दिया है कोरिया जिले के चिरमिरी के श्यामलाल ने… श्यामलाल ने अपने इलाके में पानी की समस्या को देखते हुए बीते 27 सालों में वह कर दिखाया,जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी.. श्यामलाल ने अकेले अपने दम पर रोज मेहनत कर एक तालाब खोद डाला और आज वह तालाब जहां आम लोगों के निस्तार के काम आ रहा है,वही मवेशियों के लिए भी यह तालाब जीवनदायिनी साबित हुआ है..
दरअसल नगर पालिक निगम चिरमिरी का साजापहाड़ क्षेत्र कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है..यहां ना तो आने- जाने के लिए सड़क है,ना बिजली और ना पानी। ऐसे में यहां रहने वाले लोगों की समस्याओं का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी गांव में रहने श्यामलाल ने जब देखा कि गांव में पानी की काफी किल्लत है,तो उसने इस समस्या को अकेले के दम पर सुलझाने की ठान ली.


जब वह जंगल में मवेशी चराने के लिए जाता,तो मवेशियों को भी पीने का पानी नहीं मिल पाता..तब महज पन्द्रह साल की उम्र में श्यामलाल ने एक ऐसा संकल्प ले लिया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी..वह रोज जंगल में मवेशी चराने के लिए आता और उसके साथ उसने शुरू किया एक तालाब का निर्माण करने का प्लान… पहले तो गांव के लोग उसे रोज जंगल में मजदूरी करते देख हंसते..उसे पागल कहते थे लेकिन बिना लोगों की परवाह किए श्यामलाल अकेले ही लगा रहा… दिन बीते, कई महीने बीत गए , साल बीत गए, लेकिन श्यामलाल ने हिम्मत नहीं हारी।आज 27 साल बाद श्यामलाल की लगन और मेहनत ने रंग दिखाया और अब उसके पसीने की छोटी छोटी बूंदे अब एक बड़े तालाब का रूप धारण कर चुकी है.


श्यामलाल के इस अद्भुत साहस और लगन की जानकारी स्थानीय विधायक श्याम बिहारी जायसवाल को हुई, तो उन्होंने श्यामलाल से मिलने की ठानी और अपने कुछ कार्यकर्ताओं को साथ लेकर श्यामलाल के गांव साजा पहाड़ जा पहुंचे.. यहां पहुंचे तो पता चला कि श्यामलाल तालाब खोदने के लिए गया हुआ है… ऐसे में विधायक वहां पर जा पहुंचे,जहां पर श्यामलाल तालाब की खुदाई कर रहा था.. श्यामलाल को तालाब की खुदाई करते देख विधायक भी उसके साथ खुद तालाब की खुदाई मे जुट गए.. कुछ देर तक खुदाई करने के बाद विधायक ने श्यामलाल को शाबाशी दी,उसकी तारीफ की और उसे हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया..इस दौरान उन्होंने श्यामलाल को अपने स्वेच्छा अनुदान निधि से दस हजार रुपए देने की भी घोषणा की..विधायक को तालाब पर आया हुआ देख कर श्यामलाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ..
तो अब आप समझ ही गये होंगे कि ये कोई मामूली रामलाल-श्यामलाल नहीं है..इस शख्स ने इस कहावत को सटीक तरीके से चरितार्थ किया है कि “मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके हौसलों में जान होती है… पंखों से कुछ नहीं होता,हौसलो से उड़ान होती है..”