जयपुर। रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े आचार्य स्वामी धर्मेंद्र ने सोमवार को जयपुर में निधन हो गया. करीब एक महीने पहले उन्हें उपचार के लिए एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली.

विश्व हिंदू परिषद से लंबे समय तक जुड़े आचार्य धर्मेंद्र का श्रीराम मंदिर आंदोलन में अहम योगदान था. बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती के साथ आचार्य धर्मेंद्र भी आरोपी थे. आचार्य के निधन पर देशभर के हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने दुख जताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी. इसके साथ पिछले सप्ताह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी उनसे एसएमएस अस्पताल में मुलाकात की थी.

13 साल की उम्र में निकाला अखबार

महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के पुत्र आचार्य धर्मेंद्र का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ था. आचार्य पर पिता के आदर्शों और व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ा. उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला था. वे विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में रहे हैं. आचार्य स्वामी धर्मेंद्र के दो बेटे सोमेन्द्र शर्मा और प्रणवेन्द्र शर्मा हैं. सोमेन्द्र की पत्नी और आचार्य की पुत्रवधू अर्चना शर्मा वर्तमान में गहलोत सरकार में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष हैं. 

प्रधानमंत्री ने बताया अपूरणीय क्षति

प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य धर्मेंद्र के निधन पर ट्वीट कर शोक जताया है. प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि समाज और राष्ट्रसेवा में समर्पित श्रीमद् पंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेंद्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनका जाना धार्मिक और आध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे.

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