नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के गवर्नेंस मॉडल की चर्चा आज पूरे विश्व में हो रही है. अपनी नीतियों के बारे में एक बार फिर वैश्विक मंच पर दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस को साझा किया जाएगा. केजरीवाल सरकार को स्वीडन के माल्मो शहर में माल्मो समिट में चर्चा के लिए आमंत्रण मिला है. इस समिट में दिल्ली सरकार की उपलब्धियों और सरकार द्वारा सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट के लिए उठाए जा रहे महत्वपूर्ण कदमों के बारे में बताया जाएगा. यह आयोजन 11 से 13 मई तक होगा और इसमें सरकार की तरफ से आप नेता आतिशी शिरकत करेंगी. दरअसल आतिशी को पिछले महीने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भी चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था.

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13 मई को माल्मो समिट में 63 से अधिक देश लेंगे हिस्सा

आप विधायक आतिशी 13 मई को माल्मो समिट में 63 से अधिक देशों से आए मेयर और प्रतिनिधियों को केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में अपनाए जा रहे नवाचारों के बारे में बताएंगी कि कैसे दिल्ली सरकार की नीतियों ने लाखों आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और उनके जीवन को आसान बना दिया है. आईसीएलईआई 2500 से अधिक लोकल और रीजनल सरकारों का एक नेटवर्क है, जो सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट के लिए प्रतिबद्ध है. 125 से अधिक देशों में सक्रिय आईसीएलईआई अर्बन सस्टेनेबिलिटी के लिए सरकारों के साथ मिलकर काम करती है. आतिशी ICLEI की वाइस प्रेसिडेंट हैं.

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पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हुए योजनाएं बना रही केजरीवाल सरकार

कालकाजी सीट से आप विधायक आतिशी विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को दिल्ली सरकार द्वारा राजधानी में अपनाए जा रहे नवाचारों और नीति-निर्माण प्रक्रिया में आम जनता के भागीदारी के विषय संबोधित करेंगी कि कैसे यह पूरे विश्व में सरकारों को शहर के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए बेहतर विचारों के साथ आगे आने में मदद कर सकता है. इस कार्यक्रम के विषय में बताते हुए आतिशी ने कहा कि स्वीडन में वर्ल्ड कांग्रेस के मंच पर दिल्ली गवर्नेंस मॉडल को पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत करना मेरे लिए गर्व की बात है. यह सरकारों के लिए एक-दूसरे से सीखने और दुनिया भर के लोगों को उन नीतियों के माध्यम से मदद करने का एक बड़ा अवसर है, जो पर्यावरण और लोगों की जरूरतों से जुड़ी हुई है. पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अर्बन डेवलपमेंट के लिए उसकी सभी परियोजनाएं और नीतियां इस तरह से डिजाइन की जाएं, ताकि पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव पड़े. दिल्ली ने साबित कर दिखाया कि सरकारों के लिए पर्यावरण का ध्यान रखते हुए कम बजट में लोकहित की नीतियां बनाना संभव है और अब इन विचारों को दुनिया के साथ साझा करने का समय आ गया है.

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