लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। मंजिल पाने की चाहत हो तो न तकलीफ आड़े आती है, न ही भूख-प्यास. केवल मंजिल ही नजरों के सामने रहती है. भले ही उस रास्ते पर कितनी भी कठिनाइयां हों, लेकिन आगे बढ़ने की चाहत मंजिल तक पहुंचा ही देती है. ऐसी ही कहानी बालोद जिले के डुडिया गांव के यशवन्त टण्डन की है, जिन्होंने भूखे-प्यासे शिमला की सबसे ऊंची साढ़े 9 हजार फीट चोटी पर तिरंगा लहराया.

इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन की ओर से हिमाचल प्रदेश के शिमला में 5 दिनों का शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें देश के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया था. आयोजन में बालोद जिले के 3 लोगों हिस्सा लिया, जिसमें डुड़िया गांव के यशवन्त टण्डन, तवेरा निवासी पल्लवी बारले और कनेरी निवासी निखिल यादव ने हिस्सा लिया था. शिमला के पर्वतारोहण के लिए साढ़े 9 हजार सबसे ऊंची चोटी जाखू टेम्प में सबसे पहले भूखे-प्यासे यशवन्त ने सबसे पहले तिरंगा लहरा के बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक