Adani Hindenburg Case: अडानी हिंडनबर्ग मामले में दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. कोर्ट के आदेश के बाद 6 सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल ने 8 मई को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी. उसके बाद इसे चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने पेश किया गया था.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी को जांच के लिए तीन महीने का समय दिया जा सकता है। बता दें कि हिंडनबर्ग द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी ने छह महीने का अतिरिक्त समय मांगा था। 14 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपना है, जिसकी सुनवाई 11 जुलाई को होगी.

जानिए पूरा मामला

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अदानी ग्रुप के खिलाफ अपनी रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में अदानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके बाद अडानी मामले की जांच की मांग उठी और संसद में भी हंगामा हुआ. फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह की जांच के लिए छह सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

रिटायर्ड जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट ने आम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सुझाव मांगे थे. साथ ही सेबी को अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच करने का आदेश दिया। दोनों को कोर्ट ने दो महीने का समय दिया था। जस्टिस सप्रे कमेटी ने 8 मई को सुप्रीम कोर्ट को अपनी सीलबंद रिपोर्ट सौंपी थी. लेकिन सेबी ने अडानी मामले की जांच के लिए और छह महीने का समय मांगा है।

अडानी ग्रुप पर आरोप

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अडानी ग्रुप की कंपनियां 80 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं। यह भी आरोप लगाया गया कि समूह हेरफेर करके शेयरों की कीमत बढ़ाता है।

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर बाजार में हेराफेरी और अकाउंट फ्रॉड का भी आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अदानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है। वैसे गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को बेबुनियाद और गलत बताया था.

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