बिलासपुर। संसदीय सचिव के हाई प्रोफाइल मामले पर आज पूरे प्रदेश की निगाहें बिलासपुर में टिकी थीं. सुबह से ही कोर्ट परिसर में गहमागहमी थी. चीफ जस्टिस राधाकृष्णन और शरद गुप्ता की कोर्ट में पत्रकारों की भीड़ थी. कोर्ट में दो याचिकाओं पर अहम फैसले आने थे.

पहला मामला 3057/2016 संसदीय सचिवों को हटाने की मांग को लेकर था. दूसरा 3/2017 में  संसदीय सचिवों को लाभ का पद मानते हुए उन्हें विधायक के पद से हटाने की मांग की गई थी. इन दोनों मामलों के अलावा सुनवाई मुख्यमंत्री के उस आवेदन की सुनवाई करना था जिसमें उन्होंने इस मामले से व्यक्तिगत रुप से पार्टी न बनाने को कहा था.

ज़ाहिर है तीनों मामले सरकार के लिए अति महत्वपूर्ण थे. क्योंकि ये सीधे-सीधे संसदीय सचिवों की कुर्सी ही नहीं बल्कि उनकी विधायकी और राज्य में बीजेपी की सरकार से जुड़ा हुआ था. लिहाज़ा सरकार ने कोर्ट में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी.

इस मामले में कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे याचिकाकर्ता थे. बाद में कोर्ट ने अकबर की याचिका को लीडिंग याचिका मानते हुए उसके साथ दूसरी याचिका को जोड़ दिया था.

मामला बेहद निर्णायक स्थिति में था. लिहाज़ा सरकार की ओर से दोनों केस में अलग- अलग 20 और 21 वकील थे. जबकि मोहम्मद अकबर की तरफ से दोनों मामलों में पैरवी अमृतो दास कर रहे थे. सुबह से ही कोर्ट रुम में भीड़ खचाखच भरी हुई थी. राष्ट्रीय और राज्य स्तर के बड़े पत्रकार मौजूद थे. सबकी नज़र फैसले पर थी. लेकिन आज इसका नंबर नहीं आ सका. वही महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहाँ की कल वो कोर्ट में उपस्थित नहि रहेंगे, इसीलिए अब कोर्ट में मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद होगा.