लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद भले ही कानून व्यवस्था और दूसरे मोर्चों पर कोई तीर न मारा हो लेकिन सरकार एक काम पूरा मन लगाकर कर रही है. भले ही सरकार की इस काम के लिए हर तरफ आलोचना हो रही हो लेकिन सूबे की भाजपा सरकार पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है.

अभी यूपी के हज हाउस को भगवा रंग से रंगने पर सूबे की भाजपा सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. सरकार ने पहले तो मुख्यमंत्री कार्यालय की दीवारों को भगवा रंग से रंगवा डाला फिर सूबे के थानों को भगवा रंग से पुतवाया फिर पार्कों का भगवाकरण कर दिया. भले ही सरकार की कितनी भी आलोचना हो रही हो लेकिन सरकार सूबे की एक एक सार्वजनिक संपत्ति को भगवा रंग से रंगकर ही मानेगी.

इन सबके बाद अब सरकार की नजर डिवाइडरों पर गई है. सरकार ने अब सूबे के डिवाइडरों का भगवाकरण करने की ठानी है. अब राजधानी लखनऊ के कई डिवाइडर भगवा रंग से रंगे जाने शुरु कर दिए गए हैं. लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों से जब डिवाइडरों को भगवा रंग से रंगने के बारे में सवाल पूछा गया तो उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. खास बात ये है कि सरकार के पास नगर निगम के कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं हैं लेकिन पार्क और डिवाइडर रंगने के लिए लाखों रुपये के टेंडर जारी कर दिए गए हैं. उधर नगर निगम के कर्मचारी नेताओं का कहना है कि कुछ खास ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नगर निगम ने सभी पार्कों और डिवाइडरो को भगवा रंग से रंगने का आदेश जारी किया है.

उधर नगर निगम के अधिकारी इस मामले में अपनी गर्दन बचाने के लिए लखनऊ महोत्सव का बहाना बना रहे है. उनका कहना है महोत्सव के आयोजन के लिए शहर को रंगा जा रहा है. जिसके चलते डिवाइडरों को भी रंगा गया. रंग रोगन में कोई दिक्कत नहीं है. सवाल ये उठता है कि सरकारी संपत्तियों का भगवाकरण करके आम जनता का कोई भला भाजपा सरकार कैसे करेगी. इसका जवाब सरकार में किसी के पास नहीं है. वैसे इस घटना के बाद ये तय हो गया है कि विपक्ष को सरकार ने एक मौका और दे दिया है.