नासिर बेलिम, उज्जैन। उत्तरप्रदेश में मथुरा (Mathura) और अयोध्या (Ayodhya) की तरह महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain the city of Mahakal) को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है। महाकाल की नगरी को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग को लेकर निर्मोही अखाड़े के संत महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास दादू महाराज ने मंगलवार से अन्न का त्याग कर अनशन पर बैठ गए हैं। स्वामी ज्ञानदास ने कहा कि जब तक शासन उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित नहीं करता है और जब तक मां शिप्रा नदी (Shipra River) को स्वच्छ करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।

निर्मोही अखाड़े के संत महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास दादू महाराज

निर्मोही अखाड़े के संत दादू आश्रम के महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने और शिप्रा नदी (shipra river) को नाले और गंदगी से बचाने के लिए मंगलवार से अनशन पर बैठ गए हैं। ज्ञानदास महाराज ने कहा, ‘शिप्रा नदी की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। कई नाले अब भी शिप्रा नदी में मिल रहे हैं। कई जगह पर शिप्रा नदी में काई जमा है। नदी मैली हो चुकी है, इसके बावजूद प्रशासन इसकी सुध नहीं ले रहा है। 

वहीं योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार ने उत्तरप्रदेश में मथुरा और अयोध्या को  पवित्र नगरी घोषित किया है। धार्मिक लिहाज से देश के प्रमुख 7 शहरों में महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain the city of Mahakal) भी शामिल है। नई पीढ़ी को शायद ही मालूम हो लेकिन 20 साल पहले तक उज्जैन के एक संत प्रतीतराम रामस्नेही ने इसी एक मिशन के लिए अपना पूरा जीवन खपा रखा था। देह त्यागने तक भी वे उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किए जाने की अपनी मुहीम में जुटे रहे थे। महाकाल की नगरी उज्जैन में कुम्भ मेला लगता है इसके बावजूद शासन-प्रशासन इस शहर को पवित्र नगरी घोषित नहीं कर रहा है। जब तक शासन उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित नहीं करता है और जब तक मां शिप्रा को स्वच्छ करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।