कांकेर। भानुप्रतापुर स्थित एक प्राचीन मंदिर को प्रशासन के अधिकारियों ने अल-सुबह बलपूर्वक तोड़ दिया. मंदिर तोड़ने की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ जुटी. भीड़ ने अधिकारियों के सामने जमकर हंगामा किया, बहस हुई और झड़प की नौबत तक आ गई. दोपहर तक महौल तनावपूर्ण रहा. लोगों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन ने भारी दबाव के बीच छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बनाते हुए तहसीलदार, सीईओ और एसडीओपी पर गाज गिरा दी. 2 अधिकारियों को मंदिर तोड़ने के जुर्म में निलंबित कर दिया गया, जबकि एसडीओपी को कांकेल पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया गया.
बताया जा रहा है कि गुरूवार की सुबह प्रशासनिक अमला भानुप्रतापुर स्थित संतोषी माता मंदिर तोड़ने पहुचा. अमले ने मंदिर तोडना शुरू ही किया था कि वहा मौजूद लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. लोगों का कहना था कि यह प्राचीन मंदिर है जिससे उनकी आस्था जुड़ी हुई है और वे इसे किसी भी हाल में तोड़ने नहीं देगें. देखते ही देखते मंदिर के आसपास आगजनी और तोड़फोड़ शुरू हो गई. जिसके बाद लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया. तनाव को देखते हुए वहां भारी पुलिस बल बुला लिया गया साथ ही डीआईजी रतनलाल डांगी भी मौके पर पहुंचे गये. उन्होंने मंदिर तोड़े जाने के बाद पुलिस बल का प्रयोग करते हुए माता की मूर्ति को मौके से हटाया. जिससे लोगों का आक्रोश और भी बढ़ गया है.
बाद में जनप्रतिधिनियों और प्रशासन के बीच बैठक हुई. जिसमें मूर्ति हटाने के मामले में कुछ अधिकारियों के पर कार्रवाई गई. तब जाकर यह पूरा मामला शांत हुआ. कार्रवाई के दौरान एसडीओपी कवि गुप्ता को हटाते हुए उनकी जगह अंतागढ़ एसडीओपी को भानुप्रतापपुर का प्रभारी एसडीओपी बनाया गया साथ ही सीएमओ तरुनपाल लहरे और नायब तहसीलदार एच एन खुंटे को भी निलंबित कर दिया गया है.