Agarbatti: हिंदू धर्म में अगरबत्ती लगाए बिना कोई पूजा नहीं होती. इसे जलाने से लेकर भगवान के सामने घूमाने तक, और अंत में इसकी सुगंधित खुशबू मन को आत्मीय शांति देती है. इसके जलने से मात्र से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह महसूस किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कभी-भी एक अगरबत्ती नहीं जलाई जाती है.

2 या इससे ज्यादा अगरबत्ती को जोड़ों में जलाया जाता है. अगर, हम ज्यादा अगरबत्ती जलाते हैं तो इससे निकलने वाला धुआं शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है. अगरबत्तियां सेहत के लिए नुकसानदायक हैं, इस बात नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इनफार्मेशन की एक रिसर्च में सामने आई है. आइए, इसके बारे में जानते हैं विस्तार से.

शरीर के लिए नुकसानदायक Agarbatti का धुआं

दरअसल, अगरबत्ती जिन केमिकल से मिलकर बनती है, वे नुकसानदायक होते हैं. इन केमिकल्स में एल्केन कंपाउंड होता है, जो शरीर के लिए खतरनाक होता है. अगरबत्ती बनाने में हर्बल और लकड़ी का पाउडर, सुगंध सामग्री, चिपकने वाला पाउडर और बांस की लकड़ी का इस्तेमाल होता है. इसके जलने पर धुंआ निकलता है और इस धुंए में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) गैस होती है. वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (वीओसी) भी होता है. 1 अगरबत्ती जलाने से औसतन 45 मिलीग्राम/ग्राम हानिकारक कण होते हैं. ये सिगरेट से निकलने वाले कणों से ज्यादा हैं.

फेफड़ों को पहुंचता है नुकसान

अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने पर हाइड्रोकार्बन फेफड़ों में जमते चले जाते हैं, जो झिल्लियों में संक्रमण पैदा कर देगा.

कैंसर तक का खतरा

अगरबत्ती के धुएं में कार्बन, सल्फर, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक वाष्पशील यौगिक होते हैं. इनसे कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है. धुएं की वजह से सिरदर्द के साथ-साथ डिमेंशिया, अल्जाइमर जैसे रोग भी हो सकते हैं और एलर्जी भी.

Agarbattiछ बस एक उपाए करें तो खतरा टल सकता है

पूजा स्थल में अगरबत्ती जलाकर उसे, उसी स्थान पर न लगाएं. इसे बालकानी यानी खुले स्थान पर लगाएं जहां से धुआं वायुमंडल में चला जाए. हां, एक और महत्वपूर्ण बात कि घर में 2 से ज्यादा अगरबत्ती न जलाएं. जितनी कम अगरबत्ती जलाएंगे धुआं उतना कम होगा. रिस्क उतना कम.