मुजफ्फरपुर। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को एक बड़ा झटका लगा है। मीनापुर विधानसभा सीट से पिछले चुनाव में AIMIM के उम्मीदवार रहे तमन्ना हाशमी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी और इसके प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें टिकट बेचने और मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं को गुमराह करने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

मूल सिद्धांतों से पूरी तरह भटक चुकी है पार्टी

तमन्ना हाशमी ने कहा कि AIMIM अब अपने मूल सिद्धांतों से पूरी तरह भटक चुकी है। पार्टी में समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है जबकि बाहरी और अप्रासंगिक लोगों को टिकट दिए जा रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी में विचारधारा से अधिक अब पैसे और पहचान को महत्व दिया जा रहा है, जिससे ईमानदार और मेहनती कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है।

सिर्फ 35 मुस्लिम प्रत्याशी ही खड़े किए गए

हाशमी ने दावा किया कि असदुद्दीन ओवैसी ने पहले यह वादा किया था कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी, लेकिन हकीकत में सिर्फ 35 मुस्लिम प्रत्याशी ही खड़े किए गए। उन्होंने इसे बिहार के मुसलमानों के साथ धोखा करार दिया और कहा कि AIMIM अब मुस्लिम हितों की सच्ची प्रतिनिधि नहीं रही।

पार्टी ने टिकट वितरण में पारदर्शिता नहीं रखी

तमन्ना हाशमी का कहना है कि पार्टी ने टिकट वितरण में पारदर्शिता नहीं रखी। कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया जो न तो क्षेत्र विशेष से जुड़े थे और न ही पार्टी के पुराने कार्यकर्ता थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने पैसे लेकर बाहरी लोगों को टिकट दिए, जिससे जमीनी स्तर पर काम करने वाले सच्चे कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया।

केवल नाम की पार्टी बनकर रह गई

हाशमी ने यह भी कहा कि AIMIM अब केवल नाम की पार्टी बनकर रह गई है। पार्टी का झुकाव अब उन लोगों की तरफ है जो केवल सत्ता की लालसा में हैं और जिनका जनता से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व को आंतरिक समस्याओं और जमीनी हकीकत से अवगत कराया, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया।

एकजुटता पर सवाल उठने लगे

हाशमी के इस्तीफे का असर न सिर्फ मीनापुर विधानसभा क्षेत्र में दिख रहा है, बल्कि पूरे तिरहूत क्षेत्र में AIMIM की संगठनात्मक एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं। कार्यकर्ताओं में असंतोष का माहौल है और कई जगहों पर विरोध भी देखने को मिल रहा है। पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही जगह यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या AIMIM अब बिहार की राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रख पाएगी या नहीं।

अब आगे क्या करेगी पार्टी

तमन्ना हाशमी का यह कदम आने वाले चुनावों में AIMIM की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्टी ने मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा करते हुए अपना आधार मजबूत किया था। अब देखना होगा कि पार्टी इस स्थिति से कैसे निपटती है और क्या कोई सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं या नहीं।