
लखनऊ. महाकुंभ तो खत्म हो चुका है. लेकिन इन 45 दिनों में 29 जनवरी को जो हुआ, वह घटना अब भी ताजा है. मौनी अमावस्या को मेला क्षेत्र में मची भगदड़ (Mahakumbh stampede) आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं. करोड़ों लोगों की मौजूदगी थी, इस बीच भगदड़ मची और 30 लोगों की मौत हुई. अब इसमें सवाल ये है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुंभ क्षेत्र में अमावस्या के दिन लाखों लोग एक समय पर मौजूद थे. ऐसे में जब भगदड़ मची तो 30 लोगों की जान गई. इन आंकड़ों को लेकर विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावर रहा. अब भी अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर इस मामले को लेकर तंज कसा है.

उन्होंने X पर लिखा है कि ‘छियालीस में छप्पनवालों की उल्टी गिनती जारी है. आने वालों की तो गिनती बढ़ती गई, जानेवालों की ठहरी गिनती पर चुप्पी साधी है’.
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अखिलेश के इस पोस्ट से कई सवाल उठते हैं. जब कुंभ में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे थे, जो कि सरकारी आंकड़े थे. रोजाना संगम स्नाना करने वालों के बाकायदा आंकड़े जारी किए जा रहे थे. लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि क्या वाकई में लाखों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं के बीच जब भगदड़ (Mahakumbh stampede) मची तो इनमें 30 लोगों की जान गई? क्या ये आंकड़े सही हैं? विपक्ष का ये सवाल कहीं ना कहीं सरकार के आंकड़ों पर प्रश्न चिन्ह जरूर लगाता है. कुंभ में आने वाले लोगों के आंकड़े और भगदड़ में जान गंवाने वाले लोगों के आंकड़ों में सरकार ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बताने में तत्परता तो दिखाई. बाकायदा रोजाना नियम से आंकड़े जारी किए जा रहे थे, लेकिन भगदड़ में मृत लोगों के आंकड़े आने में देर हुई थी.
‘मीठा-मीठा गप-गप, कड़वा-कड़वा थू-थू’
विपक्ष तो इस मुद्दे पर हमलावर था ही. सरकार पर आरोप भी लग रहे थे कि स्नानर्थियों की संख्या तो बराबर बताई जा रही है. लेकिन मौत के आंकड़े बताने में देरी क्यों? विपक्ष के आरोपों से तो यही लगता है कि योगी सरकार ‘मीठा-मीठा गप-गप, कड़वा-कड़वा थू-थू’ की कहावत को चरितार्थ कर रही है.
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