पुरूषोत्त्म पात्र, गरियाबंद. पैरी परियोजना गरियाबंद जल संसाधन संभाग के फिंगेश्वर डिस्ट्रिब्यूर में 0 से 48 में निर्माण कार्य में खानापूर्ति करने का आरोप लगा है. यह आरोप भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने लगाया है. उन्होंने इसकी शिकायत मुख्य अभियंता महानदी गोदावरी कछार डीसी जैन से की है. सिन्हा ने निर्माण स्थल के प्रमाण प्रस्तूत करते हुए बताया कि, 2012 में हुए जांच के दौरान नहर के 0 से 50 चैन तक हार्ड रोक (हार्डकोर लैटेराइट) होने की पुष्टि हुई थी. ऐसे जगहों पर लाइनिंग कार्यों की आवश्यकता नहीं होती, फिर भी 2 करोड़ 30 लाख की स्वीकृति कैसे ले लिया गया.

नियम से दुर्ग के जिस ठेका कम्पनी मोहन माला को ठेका दिया गया है, उसको ही यह काम करना था, लेकिन विभागीय मिलीभगत के चलते पेटी कॉन्ट्रेक्टर को यह काम दिया गया है. काम की देखरेख बीई इंजीनियर के बजाए डिप्लोमा इंजीनियर से कराया जा रहा है, लाइनिंग कार्य के प्राक्कलन में सीएनएस के बाद स्लीपर लगाना होता है, पर निकल रहे हार्ड रोक मटेरियल से ही स्लीपर की बिछाई नियम विरुद्ध किया जा रहा है.

आरोप है कि जिस 0 से 50 चैन में यह काम किया जा रहा है, यहां उसकी कोई आवश्यकता नहीं. इसलिए कार्य मे खानापूर्ति कर फर्जी तरीके से बिल तैयार कर रुपये हजम करने की पूरी तैयारी हो रही है. हद तो तब पार हो गई, जब मुख्य अभियंता के निर्देश पर जांच के लिए पहुंचे इंजीनियर आरके रजक द्वारा साइड ऑर्डर बुक पर एकत्र रोक को हटाने, ड्रेनेज के बाद काम शुरू करने के लिखित निर्देश दिए थे. लेकिन इस निर्देश को अनदेखी कर अपने ही तरीके से पेटी ठेका कम्पनी द्वारा उसी ढर्रे में काम लगातार किया जा रहा है.

52 करोड़ के गड़बड़ी के दोषियों पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई

2007 में जिले के सिंचाई विभाग ने 52 करोड़ के नहर लाइनिंग इसी दांयी मुख्य नहर और फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा कराया गया था, कार्य मे बड़ी गड़बड़ी पाई गई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने संभाग के कार्यपालन अभियंता, दो एसडीओ और दो उप अभियंता निलंबित किया गया था. इसके अलावा ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड भी किया गया था. इसकी फाइल अब भी अधूरी पड़ी है. आरोप है कि नहर लाइनिंग कार्य में बरती गई अनियमितता को फिर से दोहराया जा रहा है.

इस मामले पर विभाग के एसडीओ एलडी साहू का कहना है कि स्वीकृत साइड में केवल कुछ चैन तक ही लाइनिंग की जरूरत नहीं है, बाकी जगह भी आवश्यक है. हार्ड स्टेटा है तो क्या हुआ, लाइनिंग कार्य से पानी बचेंगे. काम ठीक चल रहा है. रही बात पेटी कॉन्ट्रैक्ट की तो प्रायः सभी ठेकेदार इसी तरह किसी न किसी को काम देकर करवाते ही है.