देश के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उतरने की संभावना तलाश रही है. रिलायंस के कदम से भारत में चिप की बढ़ती मांग और सप्लाई चेन की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. पनी की योजना से वाकिफ दो लोगों ने इसकी जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि दूरसंचार से लेकर ऊर्जा कारोबार से जुड़ी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार की पहल से प्रेरित होकर ऐसे विदेशी चिप मैन्युफैक्टरिंग के साथ शुरुआती दौर की बातचीत शुरू कर दी है, जिनमें तकनीकी भागीदार बनने की क्षमता है.
यह पता नहीं चल सका है कि रिलायंस की किन विदेशी कंपनियों के साथ बातचीत हो रही है. इस बारे में रिलायंस को टिप्पणी के लिए भेजे गए निवेदन का उत्तर नहीं मिला है. धानमंत्री कार्यालय और IT मिनिस्ट्री ने भी टिप्पणी के लिए निवेदनों का उत्तर नहीं दिया. धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग दो वर्ष पहले कहा था कि वह देश को दुनिया के लिए सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना चाहते हैं. हाल ही में मोदी ने बताया था कि देश में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए एक इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है. टेक्नोलॉजी कंपनियों को देश में सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत की वित्तीय सहायता दी जाएगी. उनका कहना था कि सेमीकंडक्टर सेक्टर में इनवेस्टमेंट के लिए भारत एक हब बन रहा है. दुनिया को एक विश्वासनीय चिप सप्लाई चेन की जरूरत है.
फॉक्सकॉन और एसटीमाइक्रो कर रहे कोशिश
फॉक्सकॉन ताइवान की मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी है. वहीं, एसटीमाइक्रो फ्रांसीसी-इतालवी कंपनी है. ये दोनों कंपनियां 40 नैनोमीटर चिप प्लांट में सरकार का सपोर्ट पाने के लिए आवेदन कर रही हैं. मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी. एसटीमाइक्रो के साथ पार्टनरशिप करके कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर फॉक्सकॉन चिप इंडस्ट्री दिग्गज के अच्छे-खासे अनुभव का फायदा उठाना चाहता है. ये चिप्स कारों, कैमरों, प्रिंटर्स और दूसरी विभिन्न प्रकार की मशीनों में इस्तेमाल होती हैं.
देश और दुनिया को होगी काफी मदद
जानकारों की मानें तो रिलायंय सेमीकंडक्टर में काफी संभावनाएं देख रहा है. अगर मुकेश अंबानी इस कारोबार में आते हैं और चिप मैन्युफैक्चरिंग करते हैं तो वो देश और दुनिया की सप्लाई चेन को दुरुस्त करने में तो मदद करेंगे ही साथ वह अपने टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के कारोबार को भी काफी मदद करेंगे. 2021 में, ग्रुप ने चिप की कमी का हवाला देते हुए Google के साथ विकसित किए जा रहे कम लागत वाले स्मार्टफोन के लॉन्च में देरी की. भारत और ग्लोबल लेवल पर सेमीकंडक्टर्स की मांग भी बढ़ रही है. भारत सरकार ने अनुमान लगाया है कि घरेलू चिप मार्केट 2028 तक 80 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जबकि वर्तमान में यह 23 बिलियन डॉलर का है.
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