रायपुर. कोरोना के प्रकोप के चलते जब रह-रहकर निराशा मन को घेर लेती है, ऐसे में मेकाहारा रायपुर के स्त्री एवं प्रसूति (गायनी) विभाग में रोजाना गूंजने वाली नवजातों की किलकारियां लोगों के मन में आशा एवं उम्मीद की नई किरण का संचार करती हैं. कोरोना काल में यहां सामान्य एवं कोरोना पॉजीटिव महिलाओं की डिलीवरी चौबीस घंटे लगातार हो रही है. कोरोना काल की उदासीनता एवं विषम परिस्थितियों के बीच कई परिवारों ने अपने घर के आंगन में खुशी की किलकारियां गूंजने का श्रेय मेकाहारा के गायनी विभाग को दिया है. एक ऐसा विभाग जिसकी रफ्तार ना तो कोरोना काल से पहले धीमी थी और न ही कोरोना काल के दौरान.

 इस विभाग की पूरी टीम ने कोरोना काल में लगातार अम्बेडकर अस्पताल एवं जिला चिकित्सालय पंडरी में भर्ती होने वाली कोविड पॉजीटिव एवं सामान्य गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी करवाकर कठिन परिश्रम की मिसाल कायम की है. यही वजह है कि आज भी लोगों के मध्य गर्भवती महिलाओं के प्रसव हेतु सबसे विश्वसनीय संस्थान में मेकाहारा का नाम अग्रणी है. संभवतः मध्यभारत के समस्त मेडिकल कॉलेज की तुलना में अब तक मेकाहारा रायपुर में कोविड पॉजीटिव महिलाओं के सर्वाधिक संस्थागत प्रसव हुए हैं जिनकी संख्या लगभग 300 से भी अधिक है.

सभी प्रकार के डिलीवरी के आंकड़ों की बात करें तो माह मई से लेकर अब तक यहां पर लगभग 3 हजार से भी अधिक डिलीवरी हो चुकी है. इसमे केवल सितंबर माह में ही कोविड एवं नॉन कोविड को मिलाकर पंडरी अस्पताल एवं स्त्री रोग विभाग के कोविड क्षेत्र में लगभग 1000 प्रसव हुए हैं. वहीं रोजाना भर्ती होने वाले नये मरीजों की संख्या 40 से 50 तक होती है.

विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. ज्योति जायसवाल के नेतृत्व में यहां के डॉक्टरों की टीम पंडरी के जिला अस्पताल स्थित गायनी विभाग के अंतर्गत ओपीडी, आईपीडी और डिलीवरी जैसे कार्यों का सम्पादन तो कर ही रही है. अम्बेडकर अस्पताल में कोविड पॉजीटिव महिलाओं का सुरक्षित प्रसव भी करा रही है. बिना थके यह विभाग निरंतर लोगों की सेवा कर रहा है.

ज्ञात हो कि कोविड महामारी को ध्यान में रखकर जब अम्बेडकर अस्पताल को विशेषीकृत कोविड हॉस्पिटल बनाया गया तब पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. तृप्ति नागरिया के नेतृत्व में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग गर्भवती एवं प्रसूताओं के सुरक्षित इलाज हेतु मई माह में पंडरी स्थित जिला चिकित्सालय में स्थानांतरित हो गया था.

स्त्री रोग विभाग की टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल के साथ डॉ. रूचि किशोर , डॉ. अविनाशी कुजूर, डॉ. आभा डहरवाल, डॉ. किरण अग्रवाल, डॉ. स्मृति नाइक, डॉ. अंचला महिलांग, डॉ. नेहा ठाकुर, डॉ. सुमा एक्का, डॉ. अंजुम खान, डॉ. श्वेता ध्रुव, डॉ. नीलम सिंह, डॉ. माधुरी ठाकुर एवं डॉ. मीनू केशकर शामिल हैं.

लगातार हो रही है कोरोना संक्रमित महिलाओं की डिलीवरी

कोरोना संक्रमित गर्भवती की डिलीवरी डॉक्टरों की टीम द्वारा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के अंतर्गत कराया जा रहा है जिसमें सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है. कोरोना संक्रमितों के लिये पृथक रूप से ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्था है. कोरोना काल में विभाग में अब तक लगभग 540 से अधिक कोविड पॉजीटिव महिलायें भर्ती हुई हैं जिसमें 300 कोविड पॉजीटिव गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई. इनमें से 160 सीजेरियन प्रसव के मामले थे और बाकी नार्मल डिलीवरी थी. बाकी गर्भवती महिलायें अन्य समस्याओं के इलाज के लिए भर्ती हुई थीं जिन्हें उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया.

गायनी विभाग के डॉक्टर उस दिन मसीहा बनकर आये

मध्यप्रदेश के रीवा निवासी मिश्रा दंपत्ति मेकाहारा के गायनी विभाग के डॉक्टरों की टीम के प्रति आभार प्रकट करते-करते हृदय से द्रवित हो उठते हैं. इसके साथ ही धन्यवाद देते हैं पूरी स्वास्थ्य विभाग की टीम का जिनकी मदद से आज अपने राज्य से बाहर उन्हें किसी भी प्रकार के परायेपन का अहसास नहीं हुआ. श्रीमती सीमा मिश्रा कहती हैं 27 अगस्त की दरम्यानी रात मेरे जेहन में हमेशा-हमेशा के लिये किसी फिल्म की कहानी की तरह दर्ज़ हो गई है. शुक्ल पक्ष की उस रात को तेज बारिश के बीच मुझे 12.30 के आस-पास प्रसव का दर्द उठा. मेरे घर पर उस वक्त मेरी 6 वर्षीय बेटी के अलावा कोई और नहीं था. मैंने 112 को आपात कालीन सहायता के लिये फोन किया. कुछ देर बाद 112 की टीम हमें लेने के लिये आ गई थी. बेहद सुरक्षित ढंग से उस तेज बरसती रात को 112 की टीम द्वारा मुझे जिला अस्पताल पंडरी लेकर आये. जहां पर डॉक्टरों ने रात को सीजेरियन ऑपरेशन कर मेरी डिलीवरी कराई. डॉक्टरों की मदद से मैने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. जन्म के तुरंत बाद मेरे बेटे को टीका भी वहां के स्टॉफ के लोगों ने ही लगवाया. आस पास के उम्रदराज़ लोगों से सुना था मेकाहारा अस्पताल के बारे में. अब अनुभव भी कर लिया. उस दिन मेकाहारा के गायनी के डॉक्टर मेरे लिये मसीहा बनकर आये.