रायपुर/बिलासपुर। जाति प्रमाण पत्र मामले में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी ने अपने-अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक अमित जोगी का नामांकन रद्द न करते हुए उसे स्वीकार करने का निर्देश देने का निवेदन किया है।

अमित जोगी के वकील और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पीएन पुरी द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि उनके मुवक्किल ने 24 सितम्बर 2020 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2013 में नियम विरुद्ध किए गए संशोधन को चुनौती देते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका लगाई है। उन्होंने ये भी बताया कि उपरोक्त संशोधन राज्य सरकार द्वारा केवल अमित जोगी के नामांकन पत्र को ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से रद्द करने की दुर्भावना से किए गए हैं। पुरी ने यह भी जानकारी दी कि अमित जोगी के कँवर जनजाति होने की पुष्टि स्वयं माननीय उच्च न्यायालय उनके विरुद्ध दायर चुनाव याचिका में कर चुकी है और इस फ़ैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की अवधि भी समाप्त हो चुकी है। अतः उच्च न्यायालय के इस फ़ैसले ने अंतिम रूप धारण कर लिया है। साथ ही, माननीय उच्च न्यायालय ने उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा उनके पिता स्वर्गीय अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने के आदेश में स्टे (रोक) लगा दी है। पुरी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस मामले में फ़ैसले न आ जाने तक मरवाही उप-चुनाव के निर्वाचन अधिकारी को सरकार के राजनीतिक दबाव में न आकर अमित जोगी का नामांकन पत्र को रद्द न करते हुए उसे स्वीकार करने के निर्देश देने का निवेदन किया है।

अमित जोगी की धर्मपत्नी डॉक्टर ऋचा जोगी ने भी अपने अधिवक्ता गैरी मुखोपाध्याय के माध्यम से भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख कर बताया है कि उनके मुवक्किल ने भी मुंगेली ज़िला सत्यापन समिति के समक्ष चल रहे प्रकरण की वैधानिकता के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में याचिका लगाई है। उन्होंने कहा कि अगर 24 सितम्बर 2020 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2013 में नियम विरुद्ध किए गए संशोधन को स्वीकार भी कर लें, तब भी उपरोक्त समिति को ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र निलम्बित करने का मात्र अधिकार प्राप्त है, और जब तक उनका प्रमाण पत्र पूर्ण रूप से निरस्त नहीं किया जाता है, उसको स्वीकार करने के अलावा निर्वाचन अधिकारी के पास कोई दूसरा वैधानिक विकल्प नहीं है। मुखोपाध्याय ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस मामले में फ़ैसले न आ जाने तक मरवाही उप-चुनाव के निर्वाचन अधिकारी को सरकार के राजनीतिक दबाव में न आकर श्री अमित जोगी का नामांकन पत्र को रद्द न करते हुए उसे स्वीकार करने के निर्देश देने का निवेदन किया है।