रायपुर। छत्तीसगढ़ की चर्चित अंजलि-इब्राहिम मामले में आखिरकार हाईकोर्ट के निर्देश के बाद आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सखी सेंटर से अंजलि जैन की रिहाई की गई है. सखी सेंटर में रह रही अंजली जैन के बाहर निकलते ही उसके चेहरे में मुस्कान नजर आई. अंजली को मर्जी के अनुसार उसके पति आर्यन आर्य को सौंपा गया. लेकिन अंजलि ने अपनी जान को पिता से खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है.

दरअसल 19 मार्च से 9 महीने तक अंजलि सखी सेंटर में रह रही थी. अंजलि को बाहर निकालने से पहले सखी सेंटर के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लगा दी गई थी. सखी सेंटर आने जाने वाले रास्ते पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा है. जिससे कोई अनहोनी न हो. सेंटर से रिहाई के वक्त एसएसपी आरिफ शेख और एसडीएम प्रणव सिंह मौजूद रहे.

सखी सेंटर से बाहर निकलने के बाद अंजलि जैन ने कहा कि मैं अपनी मर्जी से पति के साथ जा रही हूं. थोड़े टाइम के लिए मुझे सुरक्षा की जरूरत है. मुझे अपनी पिता से खतरा है. मेरे परिवार वालों से अपील करती हूं वो इन चीजों को स्वीकार कर ले. जो हुआ वो गया इन चीजों को अब जल्द खत्म करे. जिस प्रकार से लड़ते आई हूं आगे भी अपनी लड़ाई उसी प्रकार लड़ूंगी और जीतूंगी. यह सब होगा ऐसा नहीं सोची थी, पर अब ऐसा हो रहा है. मेरे पिता मुझे आशीर्वाद देकर इसे स्वीकार कर ले. मैं माँ-बाप से रिश्ता नहीं तोड़ी हूं. उन्हें मनाने की कोशिश करूंगी.

हाईकोर्ट ने 15 नवंबर को अंजलि के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि अंजली जैन को अपनी मर्ज़ी के व्यक्ति के साथ और अपनी मर्ज़ी की जगह में रह सकती है. अदालत ने ज़िले के पुलिस अधीक्षक के समक्ष अंजलि जैन को सखी सेंटर से मुक्त कराए जाने के निर्देश भी दिए थे. जिसके बाद अंजलि जैन ने पति आर्यन आर्य उर्फ मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी के साथ रहने का निर्णय लिया है.

क्या है पूरा मामला ?

33 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी मुस्लिम परिवार से आते हैं और 23 वर्षीय अंजलि जैन जैन परिवार से आती है. दोनों छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के रहने वाले है. दो साल पहले इनकी आपस में जान-पहचान हुई और दोनों के बीच प्यार हो गया. फिर 25 फ़रवरी 2018 को रायपुर के आर्य मंदिर में दोनों ने शादी कर ली थी. शादी के बाद इब्राहिम ने दावा किया था कि उन्होंने शादी से पहले हिंदू धर्म अपना लिया था. इसके बाद अपना नाम आर्यन आर्य रखा था. शादी के बाद से ही मामले में कई पेंच फंसते गए और मामला स्थानीय अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चला.