रजनी ठाकुर, रायपुर। 6 साल पहले हुआ जनलोकपाल आन्दोलन तो अपने सही मुकाम पर तो नहीं पहुँच पाया लेकिन उसको शुरू करने वाले लोग आज किसी न किसी बड़े मुकाम पर जरुर पहुँच गए हैं. इस बात का एहसास और मलाल अन्ना हजारे को भी है, तभी तो आज अन्ना का यह दर्द उस वक्त बाहर आ गया जब मीडिया ने अन्ना के आंदोलन से जुड़ी हुई बातें उनसे पूछीं. अन्ना ने कहा कि आन्दोलन के वक़्त मैं समझ नहीं पाया की किसके दिल में क्या है, एक समय मेरे इर्द-गिर्द घुमने वाले लोग अब कहाँ हैं.
सवाल बाबा रामदेव को लेकर था लेकिन अन्ना का जवाब और उनका निशाना उस आंदोलन से जुड़े हर उस व्यक्ति पर था जो उस आंदोलन के बाद फलने-फूलने लगे और अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेंक लीं. चाहे वह अरविंद केजरीवाल हों, किरण बेदी या फिर साजिया इल्मी या कहें तो देश की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के नेता ही क्यों न हों. हर कोई उस वक्त अन्ना के साथ था जनलोकपाल की लड़ाई में लेकिन आज वे सभी लोग जनलोकपाल को ही भूल चुके हैं.
दरअसल अन्ना हजारे से रायपुर में पत्रकारों ने बाबा रामदेव के उस बयान पर सवाल पूछा था जिसमें रामदेव अब भ्रष्टाचार और कालाधन को 2019 आने पर देख लेने की बात कहते हैं
आपको बता दें की अन्ना हजारे छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं जहाँ जनलोकपाल आन्दोलन की नए सिरे से शुरुवात करेंगे, अन्ना का कहना है की 25 साल की उम्र से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. आज अन्ना 80 साल के हो चुके हैं उनका कहना है कि वे तब तक आन्दोलन करते रहेंगे,जब तक भ्रष्टाचार ख़त्म ना हो जाए.
इसके साथ ही मोदी सरकार के विरोध पर अन्ना ने कहा की उन्होंने कभी किसी व्यक्ति विशेष का विद्रोह नहीं किया, बल्कि हमेशा उस सरकार का विरोध किया है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, ऐसी कोई सरकार नहीं होगी जिसका उन्होंने विरोध नहीं किया. और अब फिर से आन्दोलन की शुरुवात करेंगे जिसकी रुपरेखा यहीं रायपुर से तय होगी.
…खैर इतना तो है की अन्ना की नियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता ,पर देखना होगा की इस बार जन्लोकपाल अपनी मंजिल तक पहुँच पाता है या नहीं…